________________
३९
भगवान उसकी पीठपर चढ़े त्योंही वह देव भगवान को लेकर पूर्ण वेगसे ताड़के वृक्ष के समान ऊपरको उठने लगा । यह कौतुक देख दूसरे बालक भयभीत होकर भागने लगे। तबतो उसे मायावी कोई कपटी शत्रू समझकर महावीरने एक साधारण मुष्टिका प्रहार उस देवकी पीठपर किया । प्रहार होतेही वह देव तुरन्तही नीचे ओर धरातल पर झुक गया। यह देख बालकगण वर्द्धमान की प्रसंशा करने लगे और उनका भयभी दूर होगया। भगवानकी मुष्टिके प्रहारसे उस देवका गर्व भी चूर-चूर होगया । उसने तुरन्त अपना असली रूप धारण किया और प्रभुके सामने नतमस्तक हुआ । पश्चात विनय भाव पूर्ण भगवानसे अपनी धृष्टताकी क्षमा याचना करके यह देव पुनः देव लोकको चला गया । यह घटनाभी भगवान वर्द्धमानके महाबीर नामधारी होनेका समर्थन करती है भगवानके साहस और बलकी अनेक घटनाएं हैं जिससे उनके अतुलनीय बल और पराक्रमका पता चलता है । पाठक गप अन्यत्र शास्त्रों में ऐसी अनेक घटनाओं के विषयमें पढ़ सकते हैं।
नोट-जैन शास्त्रोंमें ऐसी घटनाएं यह सिद्ध करती हैं कि शत्रको दमन करने के लिये महारदिसे या ठोक-पीटकर काम लेना । कोई अनीति नहीं है।
विद्याध्ययन
जब प्रभु महावीर सात वर्ष के हुए तब उनके माता-पिताने उन्हें अध्यापकोंके पास शिक्षा प्रास करने के लिये भेजा। अध्यापक लोग ज्यों-ज्यों उन्हें पढ़ाते, भगवान उनसे भी आगे पढ़ जाते । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com