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[दिवाचा.] किताब अधिकमासनिर्णय तयार करनेका सबब है यह है कि इन दिनोमें इसबातकी चर्चा जैतश्वेतांबरसं। घमें जोरसे चलरही है. इस किताबमें जो जो दलिले लि
खीगइहै, बाचनेवाले अगर खयालसे पढेगे. खुद अधिकमहिनेके बारेमे जवाब देनेके काबिल होजायगे. आध१ कमास कौनसा जानना. पहला या दुसरा? इसका निनर्णयभी इसमें दियाहै. जहां सात सवालोके जवाब दियेहै, .
उसजगह देखलो! और आपने दिलकी तसल्ली करलो.
अधिकमाहना चातुर्मासिक वार्षिक और कल्याणिक १ वगेरा पर्वकृत्यमें गिनतीमें नहीं लेना, प्रमाणकेसाथ सिद्ध ! करदियाहै. खरतरगछ अंचलगछ और लोंकागछवालेभी ई जब दो आषाड आतेहै, पहला आषाड चातुर्मासिकपर्व कृत्यमें गिनते नहीं, और जब दो पौष आतेहै, तब एक पौषको कल्याणिक पर्वकृत्यमें गिनतीमें नहीं लेते, इस। किताबको अवलसे अखीरतक पढलिजिये सबहाल बखूबी मालुम हो जायगा. चर्चाके ग्रंथ या लेख पढनेसे एक
तरहकी चतराइ हासिल होती है. इस किताबका लिखान है तयार करनेमें तपगछके यतिजी श्रीयुत चारित्रविजयहै जीने मुजे अछी मदद दिई, और शेठ शिवदानजी प्रेमा
जीगाटीवालोने अपने खर्चसे छपवाकर जाहिर किइ. है में उमेद करताहुं इस किताबके पढनेसे आम जैनश्चे-ई
तांबर संघकों अधिकमासके निर्णयमें बहुत कुछ माहिती १ मीलेगी,
(ग्रंथकर्ता,) Aror EOINOMMOTorrore -00-or-o-MONOMITOMORROMOTORS
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