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अधिक-मास-दर्पण. १२ हरेक महिनेके दिन तीस पुरे गिने जाते है, और उसी गिनतीपर धर्मक्रिया किइ जाती है, मगर किसी महिनेमें तीस दिन आते है, किसीमें नहीं आते, वर्सके बारा महिनेमें और चौमासेके चार महिनेमें सब महिनेके पुरे तीस तीस दिन आते नही. और इस आधारसे किसी चौमासेमें (१२०) दिन पुरे हो सकते नही फिर पचासदिन संवत्सरीके पहलेभी नही रह सकेगें. और इसीतरह संवत्सरीके पीछेभी सीतेरदिन नही रह सकेगें पचास और सीतेरदिनका मेल मिलानेके लिये चाहे उनंतीस दिनका मास आवे उसकेभी तीसदिन और कभी पनराहदिनसे कम दिनका पक्ष आवे तोभी उसके पनरांह दिन गिने जाते है, अगर एसा न करे तो पचास और सीतेर दिनका मेल आता नही, • अंन्यमतके पंचांगसे कभी सोलह दिनका पक्ष आजाता है, तो उसकोभी पनरांही दिन गिने जाते है, कभी चौदहदिनका पक्ष आजावे तो उसकोभी पनरांह दिन गिने जाते है, सबुत हुवा कि क्षयतिथि और वृद्धितिथि गिनतीमें नही लिइ जाती. खरतरगछवालेभी इसी सडकपर चलते है, इसीतरह अधिकमहिनाभी गिनतीमें नहीं लिया जाता, यह एक सिद्धि बात है, इस वातकों खयालमें लाना नही और कोरापक्ष पकडना क्या फायदा.
१३ अगर चंद्रसंवत्सरपर चलो, तो तीर्थंकर महावीरस्वामीका निर्वाण कार्तिकवदी अमासको हुवा. उस दिन: खातिनक्षत्र था, और दुसरे वर्सके निर्वाणका दिन तीनसो
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