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अधिक-मास-दर्पण. या दोनोंमे ? अगर एक पौषमें करते हो तो कल्याणिकपर्वकी अपेक्षा एक पौषको आपलोगोंने गिनतीमेसे क्यों छोडा ? अन्यमतके पंचांगके आधारसे जब दो चैत आवे सिद्ध चक्रजीका तप एक चैतमें करते हो, और एक चैतको क्यों छोड देते हो? जब दो वैशाख महिने आवे अक्षयतृतीयापर्व एकमें करते हो या दोनोंमे ? अगर एकमें करते हो तो एक वैशाखको आपलोग गिनतीमेंसे क्यों छोड देते हो? इसका जबाव दीजिये क्या! इन दिनोमें सूर्य चलता नही है ? क्या! वनस्पति फुलती नही हैं? क्या इन महिनोंमे पाप नही लगता ? इसका भी जवाब दीजिये! जवाब देनेकी ताकात किसमें नही है मेरेमें या आपमें ? दुसरेकों कहते हो अधिक महिना गिनतीमें लेना, और आप लेते नही. इसकी क्या -वजह है ? अभिवर्द्धित संवत्सर तेरह महिनेका होता है, और निशीथचूर्णिमें अधिक महिनेको कालचूला कही, कहते हो, मगर जिस बातकी चर्चा चलती है उसके लिये क्या जबाब देते हो? चातुर्मासिक वार्षिक और कल्याणिकपर्वके व्रतनियमकी अपेक्षा गिनतीमे लेना एसा किस जैनशास्त्रका पाठ है ? पूर्वपक्षमें पाठ देते जाइये और उत्तरपक्षमे मेरेसे पाठ लेते जाइये, जबतक पूर्वपक्षमें पाठ जाहिर न हो तबतक उत्तरपक्षमें पाठ जाहिर करना गैरइन्साफ है बस! यह बात मुद्देकी है, अगर इसको अच्छी तरहसे समज लिइ जाय तो कोई शक पैदा न होगा. में खरतरगछके मुनि श्रीयुत मणिसागरजीसे पुछता हुं आप अगर अधिक महिना दिनोंकी
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