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उन सबका इस गुरुभक्ति तथा सहायता के लिये हम बाभार मानते हैं।
एक बात और भी। दृष्टिदोष से प्रूफ संशोधन में यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो उसके लिये हमें क्षमा करें। ___ इस पुस्तक का मूल्य यथोचित ही रखा गया है “प्रथम ग्राहक होनेवालों से चार आने; " तथापि इसके विक्रय से जो अर्थ प्राप्ति होगी उसका उपयोग इस पुस्तक की गुजराती आवृत्ति में किया जावेगा।
विनीत
नेमदास जैन, बी. ए. मंत्री, श्री आत्मानंद जैन महासभा, पंजाब
अंबालाशहर।
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