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दिनों में पानी का कैसे प्रबन्ध किया जाय ? इस सम्बन्ध में गांव के लोग बहुत चिन्तित थे। परन्तु जगद्गुरु आचार्य भगवान् की अद्भत आत्मशक्ति और लब्धि के प्रताप से पानी के प्राकृतिक झरने फूट पड़े और जल धारा बह निकली। ____ आठ दिन तक अनगीनते हज़ारों आदमी इकट्ठे हुए। परन्तु भोजन व पानी की किसी भी दिन कमी न पड़ी। जगद्गुरु आचार्य भगवान् की लब्धि के प्रताप से खूब आनन्द मंगल रहा। प्रतिष्ठा महोत्सव के शुभ दिवस एकत्रित हुए मारवाड़ के श्री संघ, कॉन्फरेन्स तथा देश-परदेश से आये हुए प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने मिलकर जगद्गुरु आचार्य भगवान् को 'युगप्रधान' पदवी से विभूषित किया। इनमें कलकत्ता के सुप्रसिद्ध जमोदार दानवीर, सेठ जगतसिंहजी, जिनके कुटुम्ब में वर्षों से जगत सेठ की पदवी चली आती है, अपने परिवार के साथ इस शुभ अवसर पर पधारे थे। इनके सिवा कितनेक राजकुमार तथा जोधपुर स्टेट के अग्रगण्य अफसरों के साथ असंख्य जन-समुदाय उलट पड़ा था। उस समय का दृश्य बड़ा आलौकिक था उसकी दिव्यता की कल्पना वही कर सकता है, जिसने उसे आंखों देखा है।
(इलाहाबाद लीडर पत्र, ता० १५-७-१९३५ का अंग्रेजी अनुवाद)
We have received the following for publication from a correspondent.
Mysterious supply of food and water. It was a remarkable event in the history of Jainism
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