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श्रीतीर्थविजयजी भगवान् हुए। आपश्री भी जाति के अहीर थे। आपका जन्मस्थान मणादर गांव था। आपश्री ने सारा जीवन तपश्चर्या में पूरा किया। संवत् १९८४ की फागुन सुदी ८ के दिन मारवाड़ में मुडोत्रा गाँव में आपश्री का देवलोकवास हुआ।
जगतगुरु आचार्य सम्राट् श्रीविजयशान्तिसूरीश्वरजी भगवान् का जीवन-चरित्र अनुभव करने योग्य है। आपश्री का जीवन-चरित्र अत्यन्त अद्भुत अलौकिक एवं अगम्य है इसलिये वाणी द्वारा यथार्थ कह सकने में कोई समर्थ नहीं है तो फिर लेखनी द्वारा लिखकर उसका वर्णन कैसे किया जा सकता है।
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