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॥ श्री धर्म तीर्थ शांति गुरुम्यो नमः ॥
अनन्य शरण को देने वाले, निरन्तर स्मरणीय स्वर्गीय श्री सद्गुरु भगवान् को सतत वन्दन ।
जब-जब दुनिया में धर्म का नाश होता है तब-तब महापुरुष सत्य, धर्म तथा शान्ति की स्थापना के लिये उपदेश करते हैं
इस मरुधर देश को धन्य है ।
इस हीर जाति को धन्य है । पुण्यवती माता वसुदेवी को धन्य है । पुण्यात्मा रायका श्री भीमतोला जी को धन्य है ।
समस्त संसार में जिनके विश्वप्रेम का सन्देश फैल रहा है, विश्व के चारों कोनों में जिनके नाम से कोई प्रजान नहीं है वे इस विश्व की महान् से महान् विभूति-रूप जगद्रूप श्राचार्यदेव श्रीविजयशान्ति सूरीश्वरजी भगवान् हैं ।
आप श्री के गुरु का नाम श्रीतीर्थविजयजी था और उनके भी गुरु का नाम महान् योगीन्द्र, त्रिकालदर्शी श्रीमद् धर्मविजयजी भगवान था। इन तीनों ही महापुरुषों ने अहीर जाति में जन्म धारण किया था ।
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