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करता था, उसके चार लडके बडे सूरवीर थे। बडेका नाम उदयसिंह था, और उसको पिताने राजगादी दी हुई थी। छोटोंके क्रमवार नाम थे-सामन्तपाल १ अनङ्गपाल २ और त्रिलोकसिंह ३ । उदयसिंहकी राजसत्तामें छोटे तीन भाइयोंको आजीविका पूरी न मिलनेसे वह राज्य छोडकर चले गये । और वस्तुपालकी कीर्ति सुनकर धोलके आये । वस्तुपालके पूछनेपर उन्होंने अपना सारा हाल सुनादिया।
वस्तुपालने अपने-स्वामी राजाको उनकी मुलाकात कराई और सारा हाल कह सुनाया।
राजाने भोजनसमय उनको साथ बैठाकर भोजन कराया, और पूछा कि कहो तुम कितनी आजीविकासे हमारे पास रह सक्ते हो?।
सामन्तपालने कहा-राजाधिराजकी तर्फसे एक एक भाईको दोदो लाख अशरफियें मिलनेपर हम ताबेदार हजूरकी छायामे रहनेको उत्सुक हैं। __ राजाने इस बातपर अनादर प्रकट करते हुए कहा दो दो लाख अशरफियें ? दो लाख अशरफी किसको कहते हैं ? दो लाखके हिसाबसे तुम तीनो भाइयोंको ६ लाख सोनामोहर देनी चाहिये तो ख्याल करो कि ६ लाख सोनामोहरोंमे हम कितने सुभटोंको नौकर रख सकते हैं ? यह बात असंगत है, तुम खुशीसे रहना चाहो तो योग्य वार्षिकपर रहो, नही तो तुमारी इच्छानुसार अन्य स्थान ढूंढलो। इतना सुनतेही राजकुमार वहांसे चल निकले । वस्तुपाल तेजपालने राजाको
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