________________
२२
जीतेबाद इसने सारी सेनाको बरगिलान कर रखा है, सारी सेना विमलकुमारकी ही आनदानमे है, राजाका तो सिर्फ नाम है।
एक ऐसा भी पत्थर राजाको पकडाया गया कि जिसका नतीजा बडाही भयानक निकले, राजाको यह समझाया गया कि विमलमंत्री जिनदेव और जैन साधुके सिवाय आपको भी सिर नही झुकाता, आपको जब प्रणाम करता है तब हाथकी मुद्रामे अपने इष्टदेवकी मूर्ति रखता है और मनमें उसीको नमस्कार करता है आपको तो वह कुछ समझता ही नहीं । इसमें आपको बहुत कुछ सोचनेका है, एक सामान्य आदमीको ज्यादा ऊंचे चढाया जाय तो उससे कभी न कभी बड़ा नुकसान उठाना पडता है।
स्वार्थपोषक इस कपटी मंडलके वचनोंको सुनतेही राजाका मन क्रोधातुर होगया, राजाने कहा तुमारा कहना ठीक है, विमल बड़ा उद्धत होगया है उसके अखर्व बलसे भाविकालमे अपने राज्यकी रक्षाकाभी सन्देह है, बल्कि उसको मानहीनके बदले प्राणमुक्त करदेनेतककी मेरी इच्छा होरही है, इसके लिये मैने मेरे मनमे एक मनसूबा कर लिया है जो तुमको सुनाता हूं।
जूनागढके पहाडमेसे पकडे हुए केसरी सिंहको पिंजरेसे निकाल देना और शहरमे यह बात मशहूर कर देनी कि नौकरोंकी गफलतसे यह केसरी छुट गया है, जहांतक यह किसीका नुकसान न करे उससे पहले पहले विमलकुमारको
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com