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जीव-विज्ञान
अतिरिक्त नहीं होगा। इन पाँच इन्द्रियों के विषयों में ही सभी कर्म शामिल हो जाते हैं।
इन्द्रियों के भेदों को बताते हुए आगे लिखते हैं
द्विविधानि।1611 अर्थ-इन्द्रियाँ दो प्रकार की होती है-द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय ।
इन्द्रियों के मुख्य रूप से दो भेद हैं। एक कहलाती है द्रव्येन्द्रिय और दूसरी कहलाती है भावेन्द्रिय।
द्रव्येन्द्रिय का स्वरूप बताते हुए आचार्य आगे के सूत्र में कहते हैं
निर्वृत्युपकरणे द्रव्येन्द्रियम् ।।17 || अर्थ-निवृत्ति और उपकरण को द्रव्येन्द्रिय कहते हैं।
यहाँ पर द्रव्येन्द्रिय का स्वरूप बताया जा रहा है। निर्वृत्ति का अर्थ होता है-रचना। हमारी इन्द्रियाँ जो शरीर के रूप में हमें दिखाई देती है, जिनकी रचना आत्मा के प्रदेशों में होती है, वह रचना और उपकरण ये दोनों ही द्रव्य-इन्द्रिय कहलाती हैं। एक तो उन इन्द्रियों की रचना और दूसरा उन इन्द्रियों की रक्षा करने वाले ऊपर जो उपकरण होते हैं उसे उपकरण कहते हैं।
उदाहरण के लिए जैसे आपकी आँख है। आँख के अंदर जो आपको लाल या काला द्रव्य दिखाई देता है उस काली गोलक के अंदर जो पॉइन्ट-बिन्दु- होता है वह पॉइन्ट वस्तुतः निर्वृत्ति कहलाती है। जिसकी रचना होने पर ऊपर जो कुछ भी रचनाएं होती हैं वे उसी आँख की रक्षा करने के लिए होती हैं। उस आँख के लिए वह उपकरण इसलिए कहलाते हैं कि जो मुख्य करण “नेत्र" की ये रक्षा करते हैं। अर्थात् आँख की गोलक के अंदर जो हमें बिन्दु दिखाई देता है उसे निर्वृत्ति कहेंगे और उस निर्वृत्ति के आसपास जो कुछ भी सफेद या लाल द्रव्य है और उसके ऊपर भी आपकी पलकें हैं, बिरौनी हैं ये सभी उपकरण कहलाते हैं। निर्वृत्ति रचना का नाम है और उस निर्वृत्ति की जो रक्षा कर रहे हैं उसका नाम उपकरण है। इस तरह से यह द्रव्येन्द्रिय है। किसी भी विज्ञान की पहुँच इस द्रव्येन्द्रिय तक ही होती है। आगे बताई जाने वाली भावेन्द्रिय तक विज्ञान की पहुँच नहीं होती है। उपकरण में अगर कोई खराबी आएगी तो हम उपकरण तक अपने किसी औजार को ले जा सकते हैं। उपकरण को हम किसी भी बाहरी निमित्त से संभाल सकते हैं। उनका हम ऑप्रशेन कर सकते हैं। निर्वृत्ति तक भी हमारी पहुँच हो सकती है। लेकिन अगर वह होगी तो इसी निर्वृत्ति और उपकरण स्वरूप द्रव्येन्द्रिय तक ही हमारी पहुँच होगी। भावेन्द्रिय को कोई भी स्पर्श नहीं कर सकता है। आपकी आँख में कोई भीतर से खराबी हुई है और वह निर्वृत्ति तक भी आ गई है, तो ऐसी भी कई बीमारियाँ हैं जिनको डॉक्टर लोग ठीक नहीं कर सकते हैं।
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