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जीव-विज्ञान
हैं? हमें इसका क्या उत्तर देना है? ये कहलाते हैं-स्थावर जीव । इनमें किसी में भी माँस सम्बन्ध नहीं होता है। त्रस जीवों से वह चीज शुरू होती है।
आचार्य आगे के सूत्र में त्रस जीवों के भेद कह रहे हैं
द्वीन्द्रियादयस्त्रसाः ।। 14|| अर्थ-दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय, पाँच इन्द्रिय जीवों को त्रस कहते हैं
अर्थात् दो इन्द्रियादि जीव त्रस होते हैं। एक इन्द्रिय के आगे जितने भी दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय, पाँच इन्द्रिय जीव हैं-वे त्रस जीव होते हैं। इन त्रस जीवों का वर्णन यहाँ स्थावर जीवों के बाद किया गया है। इसका भी कारण है। पिछले सूत्र में त्रस जीवों को पहले लिखा था, “संसारिणस्त्रसस्थावराः" अब इस सूत्र में त्रस को बाद में लिखा गया है। इसका कारण यह है कि स्थावर जीवों का वर्णन तो इतना ही है जितना हमने बता दिया। जो पाँच भेद बताए गये हैं वे स्थावरों के हैं। इसलिए उसका वर्णन एक सूत्र में कर दिया। लेकिन त्रसों का वर्णन बहुत बड़ा है। अब त्रसों के विषय में बताया जाएगा। शंका- क्या निगोदिया-जीव स्थावर-जीव है? समाधान-हाँ, निगोदिया-जीव स्थावर-जीव है। ये एक इन्द्रिय जीव होते हैं। शंका- अगर निगोदिया जीव स्थावर हैं तो पाँच प्रकार के जीवों में से ये किसमें गर्भित होते हैं? समाधान-निगोदिया जीव वनस्पतिकायिक में गर्भित होते हैं। वनस्पतिकायिक के भेद-प्रभेदों में ही निगोदिया जीव आ जाते हैं। पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक और वायुकायिक में ये जीव नहीं होते है। जितनी भी वनस्पतियाँ होती हैं वे सारी निगोदिया जीवों से ही भरी रहती हैं। उन्हीं निगोदिया जीवों के माध्यम से सब पोषण होता है। आपके शरीर का पोषण भी उन निगोदिया जीवों के माध्यम से ही होता है। अनन्त-अनन्त निगोदिया जीव एक शरीर में भरे हुए होते हैं। इन सभी निगोदिया जीवों का विस्तार वनस्पतिकायिक जीवों में आ जाता है। इसलिए ये निगोदिया जीव स्थावर जीवों में गर्भित हो जाते हैं। शंका- हमारे जैनधर्म में माना गया है कि पानी एक इन्द्रिय जीव है। अमेरिका में जब खोज की गई और जब उसे माइक्रोस्कोप से देखा तो उसमें बहुत जीव दिखाई दिये। प्रश्न है-जो जीव दिख रहे हैं उसे त्रस जीव मानेंगे या स्थावर जीव मानेंगे? समाधान-वे सब त्रस जीव ही हैं। क्योंकि उन्होंने गिनकर बताया है कि पानी की एक बूंद में छत्तीस हजार चार सौ पचास जीव होते हैं। जो आप छत्तीस हजार चार सौ पचास जीव गिन रहे हो वे त्रस जीव हैं। जो वास्तव में एकेन्द्रिय जीव हैं वे कभी भी पकड़ में नहीं आ सकते, क्योंकि उनके शरीर की
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