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भूल हुई हो तो आप सप्रमाण सूचना करें कि उसका मैं द्वितीयावृत्ति में ठीक सुधार करवा दूं। यदि इसके उत्तर में कोई सज्जन किताब लिखना चाहें तो भी कोई हर्ज नहीं है क्योंकि ऐसे विषय की ज्यों ज्यों अधिक चर्चा की जाय त्यों त्यों इसमें विशेष तथ्य प्राप्त होता जायगा और आखिर सत्य अपना प्रकाश किये बिना कदापि नहीं रहेगा, पर साथ में यह बात भी लक्ष्य बाहर न रहे कि आज जमाना सभ्यता का है, विद्वद् समाज में प्रमाणों का प्रेम है सभ्यता एवं सत्यता की ही कीमत है। अतः लेख सभ्यतापूर्वक ही लिखना चाहिये इत्यालम् ।
इति खरतरमतोत्पत्ति भाग पहला
समाप्तम्