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है वैसा ही पाँच पीरों का भी चित्र बनाकर भद्रिकों को धोखा दिया है।
खरतरों को पूछा जाय कि भगवान महावीर के पश्चात और तुम्हारे पीर साधने वाले ढोंगी आचार्यों के पूर्व बहुत से धुरंधर विद्वान आचार्य हुये पर उनमें से किसी एक ने भी अनार्य निर्दय म्लेच्छ पीरों की साधना नहीं की थी, फिर एक खरतरों पर ही ऐसी कौन सी आफत आ पड़ी थी कि निर्दय पीरों की साधना की, वह भी एक नदी के बीच खड़े रहकर कि जिसमें अनंत जीवों की जान बूझ के बिना कारण ही हिंसा की।
क्यों रे खरतरों ! क्या जैन देवी देवताओं ने तुम्हारी सहायता नहीं की अथवा हिन्दू देवी देवताओं ने तुम्हारे पूर्वजों को साथ नहीं दिया या तुम्हारे पूर्वज उन देवी देवताओं से अनर्थ कार्य करवाना चाहते थे और उन्होंने ऐसा अनर्थ करने से इनकार कर दिया था या तुम्हारे पूर्वज उत्सूत्र प्ररुपणा होने से जैन या हिंदू देवी देवताओं ने उनका साथ नहीं दिया इसलिये उनको मलेच्छ निर्दय पीरों की साधना करनी पड़ी थी या कोई दूसरा कारण था?
भला खरतरों ! तुम्हारे आचार्य ने पीरों की साधना की थी तो जैन विधि से की या म्लेच्छों की विधि से? उस साधना में बलवाकुल भी दिये होंगे और वह सात्विकी पदार्थ के थे या तामसी पदार्थ के? कारण, पीर लोग तो उन्हीं पदार्थों का बल बाकुल लेते हैं जो उनको प्रीय हों।
खरतरों ने पीरों की साधना क्यों की और पीरों से क्या काम लिया? क्या जिस समय मुसलमान लोग मन्दिर मूर्तियों को तोड़ फोड़कर नष्ट कर रहे थे, आगम शास्त्रों को अग्नि में जला रहे थे उसको बंद करवाया था या खरतर आपस में लड़ते झगड़ते थे उनको सजा दिलाने के लिये पीरों की साधना कर उनको दंडसजा दिलवाई थी। जैसे जिनदत्तसूरि ने चक्रेश्वरी देवी की स्तुति में प्रार्थना की थी कि हे देवी! विधिमार्ग (खरतरों) के दुश्मनों के गले काटकर विधि मार्ग की रक्षा कर इसी प्रकार पीर साधने वालों ने भी किसी खरतर शाखा वालों के गला काटने का प्रयत्न तो नहीं किया था न?
अरे खरतरों ! यह पांच पीरों की कल्पना तुम्हारे किसी प्राचीन ग्रंथों में है या यतियों ने नयी कल्पना की है। क्योंकि तुम्हारी पट्टावलियों वगैरह में तो इस बात की गन्ध तक भी नहीं मिलती है। फिर तुम उन आचार्य के दुश्मन बन बिचारे उन मृत आत्मा पर इस प्रकार कालस की कालिमा क्यों पोतते हो? ऐसी भद्दी बातों और कल्पित चित्रों से तुम्हारी और तुम्हारे आचार्यों की तारीफ नहीं पर उल्टी हंसी होती है और ऐसे पतित कार्य करने वालों को सभ्य समाज बेवकूफ ही