________________
१९६ wwwwwwwwwwwwwwwwwe
mammmmmmmmmmmmm
४. विजयहीरसूरि ने बादशाह को | ४. जिनचंद्रसूरि ने विजयहीरसूरि आठ दिन जीवहिंसा बंध करवाने का | का नाम लेकर प्रार्थना की एवं उपदेश दिया तब बादशाह ने १२ दिन | शुभचिंतक की तौर पर और आशामुखी का फरमान लिख दिया और दूसरे प्रसंगों | बन कर ८ दिन मांगा और बादशाह ने पर एक वर्ष में ६ मास जीवदया का | ८ दिन का फरमान लिख दिया। फरमान लिख दिया तथा जैन तीर्थों की रक्षा का भी फरमान लिख दिये।
५. बादशाह ने अपने पास की ५. जिनचंद्र को एक पन्ना तक भी अमूल्य पुस्तकें विजयहीरसूरि की सेवा | नहीं मिला। में अर्पण कर दी थीं।
६. विजयहीरसूरि के चातुर्मास के बाद | ६. जिनचन्द्रसूरि चातुर्मास करके विहार करने पर भी बादशाह के आग्रह से | जाने के बाद बादशाह ने कभी याद उनके विद्वान शिष्य बादशाह की सभा में | तक भी नहीं किया। कारण, बादशाह नौ वर्ष तक बादशाह को उपदेश देते रहे। | ने जिनचंद्रसूरि की परीक्षा कर ली थी।
७. विजयहीरसूरि ने बादशाह को । ७. जिनचंद्र वि. सं. १६४८ में वि. सं. १६३९ में प्रतिबोध कर जैन | बादशाह से मिले, जो कि विजयहीरसूरि धर्म का अनुरागी बना दिया था। बाद | की कृपा से ही उसका मिलन हुआ में भी आपके शिष्यों ने कई वर्ष तक | था। बादशाह को उपदेश सुनाया।
८. विजयहीरसूरि के गुणों पर मुग्ध ८. खरतर कहते हैं जिनचंद्रसूरि को होकर बादशाह ने सूरिजी को 'जगद्गुरु' | युगप्रधान पद दिया। पर खरतरों में बिरुद देकर उनकी योग्यता की सच्ची | ऐसे युगप्रधान की कुछ भी कीमत नहीं कदर की थी, जिसका दुनियां में बड़ा | है। कारण खरतरों में बालों में तेल ही महत्व हैं।
डालनेवाले, रेलसवारी करनेवाले, पैसे रखनेवाले भी युगप्रधान कहला सकते
| हैं।
उपर दी हुई तालिका से पाठक स्वयं सोच सकते हैं कि बादशाह को प्रतिबोध तपागच्छाधिपति जगद्गुरु भट्टारक विजयहीरसूरि ने दिया था या यु. प्रा. जिनचन्द्रसूरि ने दिया था? बादशाह अकबर के हृदय पर जैनधर्म का प्रभाव