________________
१७५ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
पतित बनाकर अपना भक्त बना भी लिया हो तो इसमें जिनदत्त की क्या अधिकता हुई ? यदि इसको भी खरतर चमत्कार ही समझते हों तो इससे भी अधिक चमत्कारी ढूंढ़िये तेरहपन्थियों को समझने चाहिये। कारण, जिनदत्त ने तो बारह करोड़ से सवालक्ष मनुष्यों को पतित बनाया। पर ढूंढिये तेरहपन्थियों ने तो लाखों जैनो से ही करीब करीब तीन लक्ष लोगों को पतित बनाकर ढूंढिये बना लिये है। अब विशेषता जिनदत्त की रही या ढूंढ़ियों की?
खरतरों ने अनभिज्ञ जैनों को क्या क्या भौतिक पदार्थों का लोभ देकर सत्यधर्म से पतित बना कर अपने पक्षपाती बनाये जिसका थोड़ा सा नमूना हम खरतरों के ग्रन्थों से उद्धृत कर पाठकों को बतला देना चाहते हैं कि खरतरों ने नये जैन बनाये या जैनों को धर्म से पतित बनाये है?
निम्नलिखित जैन जातियों में से कई जातियां तो खरतरों के जन्म से पूर्व सैकड़ों वर्ष से बनी हुई थी और कई जातियां बाद में जैनाचार्यों ने बनाई थीं। उन जातियों को खरतरों ने किस प्रकार पतित बनाकर बिचारे भद्रिक लोगों को धोखा देकर विश्वासघात किया जिसको खरतर यति रामलाल बीकानेर वालों ने स्वरचित महाजन वंश मुक्तावली नामक किताब में उन जातियों के साथ उनकी उत्पत्ति की कल्पना कर खरतराचार्यों को किस प्रकार पतित होना साबित किया है। जिसको उस किताब के पृष्ठों के साथ नीचे दर्ज कर देता हूँ। १. संचेतियों के पूर्वजों के सर्प का विष उतारा ।
पृष्ठ १५ २. वरडिया के पूर्वजों को धन बताया।
पृष्ठ १६ ३. चोपड़ों के पूर्वजों को पुत्र दिया।
पृष्ठ १७ ४. धाड़िवालों के पूर्वजों को यंत्र कर दिया ।
पृष्ठ २० ५. झाबका के पूर्वजों को विजय यंत्र दिया।
पृष्ठ १२ ६. चोरडिया के पूर्वजों के मूच्छितों को जीवित किये।
पृष्ठ २३ ७. भंशालियों के पूर्वजों का ब्रह्मराक्षस निकाला।
पृष्ठ २८ ८. दूसरे भंशाली के पूर्वजों के मृतक पुत्र को जिवाये। पृष्ठ ३० ९. आर्य के पूर्वजों को बंदूक के गोली का गुलाब ।
पृष्ठ ३२ १०. बाफनों के पूर्वजों को विजय यंत्र दिया।
पृष्ठ ३४ ११. कटारियों के पूर्वजों के सर्प का विष उतारा ।
पृष्ठ ३६ १२. मालुओं के पूर्वजों की अर्धांग की बीमारी मिटाई। पृष्ठ ३८ १३. रांकाबांका के पूर्वजों के वल्लभी को भंग करवाया। पृष्ठ ४०