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आगम सूत्र ४३, मूलसूत्र-४, ‘उत्तराध्ययन'
अध्ययन/सूत्रांक सूत्र-११०९
___ तप के दो प्रकार हैं-बाह्य और आभ्यन्तर । बाह्य तप छह प्रकार का है, इसी प्रकार आभ्यन्तर तप भी छह प्रकार का है। सूत्र-१११०
आत्मा ज्ञान से जीवादि भावों को जानता है, दर्शन से उनका श्रद्धान करता है, चारित्र से कर्म-आश्रव का निरोध करता है, और तप से विशुद्ध होता है। सूत्र - ११११
सर्व दुःखों से मुक्त होने के लिए महर्षि संयम और तप द्वारा पूर्व कर्मों का क्षय करके मोक्ष प्राप्त करते हैं। -ऐसा मैं कहता हूँ।
अध्ययन-२८ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(उत्तराध्ययन) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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