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आगम सूत्र ४३, मूलसूत्र-४, 'उत्तराध्ययन'
अध्ययन/सूत्रांक होता है, वैसे बहुश्रुत भी सुशोभित होता है । सूत्र-३४५
जिस प्रकार हथिनियों से घिरा हुआ साठ वर्ष का बलवान हाथी किसी से पराजित नहीं होता, वैसे बहश्रुत भी किसी से पराजित नहीं होता। सूत्र - ३४६
जैसे तीक्ष्ण सींगोंवाला, बलिष्ठ कंधोंवाला वृषभ-यूथ के अधिपति के रूप में सुशोभित होता है, वैसे ही बहुश्रुत मुनि भी गण के अधिपति के रूप में सुशोभित होता है। सूत्र - ३४७
जैसे तीक्ष्ण दाढ़ोंवाला पूर्ण युवा एवं दुष्पराजेय सिंह पशुओं में श्रेष्ठ होता है, वैसे बहुश्रुत भी अन्य तीर्थकों में श्रेष्ठ होता है। सूत्र-३४८
जैसे शंख, चक्र और गदा को धारण करनेवाला वासुदेव अपराजित बलवाला योद्धा होता है, वैसे बहुश्रुत भी अपराजित बलशाली होता है। सूत्र-३४९
जैसे महान ऋद्धिशाली चातुरन्त चक्रवर्ती चौदह रत्नों का स्वामी होता है, वैसे ही बहुश्रुत भी चौदह पूर्वो की विद्या का स्वामी होता है। सूत्र- ३५०
जैसे सहस्रचक्षु, वज्रपाणि, पुरन्दर शक्र देवों का अधिपति होता है, वैसे बहुश्रुत भी होता है। सूत्र-३५१
जैसे अन्धकार का नाशक उदीयमान सूर्य तेज से जलता हुआ-सा प्रतीत होता है, उसी प्रकार बहुश्रुत भी तेजस्वी होता है। सूत्र-३५२
जैसे नक्षत्रों के परिवार से परिवृत्त, चन्द्रमा पूर्णिमा को परिपूर्ण होता है, उसी प्रकार बहुश्रुत भी ज्ञानादि की कलाओं से परिपूर्ण होता है। सूत्र - ३५३
जिस प्रकार व्यापारी आदि का कोष्ठागार सुरक्षित और अनेक प्रकार के धान्यों से परिपूर्ण होता है, उसी प्रकार बहुश्रुत भी नाना प्रकार के श्रुत से परिपूर्ण होता है। सूत्र-३५४
'अनादृत' देवका 'सुदर्शन' नामक जम्बू वृक्ष जिस प्रकार सब वृक्षों में श्रेष्ठ होता है, वैसे ही बहुश्रुत सब साधुओं में श्रेष्ठ होता है। सूत्र-३५५
___ जिस प्रकार नीलवंत वर्षधर पर्वत से निकली हुई जलप्रवाह से परिपूर्ण, समुद्रगामिनी सीता नदी सब नदियों में श्रेष्ठ हैं, इसी प्रकार बहुश्रुत भी सर्वश्रेष्ठ होता है। सूत्र - ३५६
जैसे कि नाना प्रकार की औषधियों से दीप्त महान् मंदर-मेरु पर्वत सब पर्वतों में श्रेष्ठ हैं, ऐसे ही बहुश्रुत सब साधुओं में श्रेष्ठ होता है।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(उत्तराध्ययन) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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