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________________ आगम सूत्र ३०/१,पयन्नासूत्र-७/१, गच्छाचार' सूत्र - १०४ आरम्भ में आसक्त, सिद्धांत में कहे अनुष्ठान करने में पराङ्गमुख और विषय में लंपट ऐसे मुनिओं का संग छोड़कर हे गौतम ! सुविहित मुनि के समुदाय में वास करना चाहिए । सूत्र-१०५ सन्मार्ग प्रतिष्ठित गच्छ को सम्यक तरह से देखकर वैसे सन्मार्गगामी गच्छ में पक्ष-मास या जीवनपर्यन्त बसना चाहिए, क्योंकि हे गौतम ! वैसा गच्छ संसार का उच्छेद करनेवाला होता है। सूत्र - १०६ जिस गच्छ के भीतर क्षुल्लक या नवदीक्षित शिष्य या अकेला जवान यति उपाश्रय की रक्षा करता हो, उस गच्छ में हम कहते हैं कि मर्यादा कहाँ से हो? सूत्र - १०७ जिस गच्छ में अकेली क्षुल्लक साध्वी, नवदीक्षित साध्वी, अथवा अकेली युवान साध्वी उपाश्रय की रक्षा करती हो, उस विहार में-उपाश्रय में हे गौतम ! ब्रह्मचर्य की शुद्धि कैसी हो? अर्थात् न हो। सूत्र-१०८ जिस गच्छ के भीतर रात को अकेली साध्वी केवल दो हाथ जितना भी उपाश्रय से बाहर नीकले तो वहाँ गच्छ की मर्यादा कैसी ? अर्थात् नहीं होती। सूत्र-१०९ जिस गच्छ के भीतर अकेली साध्वी अपने बन्धु मुनि के साथ बोले, अगर अकेला मुनि अपनी भगिनी साध्वी के साथ बात-चीत करे, तो हे सौम्य ! उस गच्छ को गुणहीन मानना चाहिए । सूत्र-११० जिस गच्छ के भीतर साध्वी जकार मकारादि अवाच्य शब्द गृहस्थ की समक्ष बोलती है। वो साध्वी अपनी आत्मा को प्रत्यक्ष तरीके से संसार में डालते हैं। सूत्र - १११ जिस गच्छ में रुष्ट भी हई ऐसी साध्वी गृहस्थ के जैसी सावध भाषा बोलती है, उस गच्छ को हे गुणसागर गौतम ! श्रमणगुण रहित मानना चाहिए । सूत्र - ११२ और फिर जो साध्वी खुद को उचित ऐसे श्वेत वस्त्र का त्याग करके तरह-तरह के रंग के विचित्र वस्त्र-पात्र का सेवन करती है, उसे साध्वी नहीं कहते । सूत्र - ११३ जो साध्वी गृहस्थ आदि का शीवना-तुगना, भरना आदि करती है या खुद तेल आदि का उद्वर्तन करती है, उसे भी साध्वी नहीं कहा जाता। सूत्र - ११४ विलासयुक्त गति से गमन करे, रूई आदि से भरी गद्दी में तकियापूर्वक बिस्तर आदि में शयन करे, तेल आदि से शरीर का उद्वर्तन करे और जिस स्नानादि से विभूषा करेसूत्र-११५ और फिर गृहस्थ के घर जाकर कथा-कहानी कहे, युवान पुरुष के आगमन का अभिनन्दन करे उस साध्वी को शत्रु मानना चाहिए। मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(गच्छाचार)” आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद” Page 13
SR No.034697
Book TitleAgam 30 1 Gacchachar Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages16
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 30 1, & agam_gacchachar
File Size2 MB
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