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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना’
सूत्र - ३६०
भगवन् ! योनि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की । कूर्मोन्नता, शंखावर्त्ता और वंशीपत्रा । कूर्मोन्नता योनि में उत्तमपुरुष गर्भ में उत्पन्न होते हैं । जैसे- अर्हन्त, चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव । शंखावर्त्ता योनि स्त्रीरत्न की होती है । शंखावर्त्ता योनि में बहुत-से जीव और पुद्गल आते हैं, गर्भरूप में उत्पन्न होते चय उपचय होता है, किन्तु निष्पत्ति नहीं होती । वंशीपत्रा योनि सामान्यजनों की होती है। उनमें से साधारण जीव गर्भ में आते हैं पद-९ का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
पद / उद्देश / सूत्र
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (प्रज्ञापना)" आगमसूत्र - हिन्द-अनुवाद”
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