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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश/सूत्र संख्यातगुणे हैं, वे ही प्रदेशों की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, असंख्यात समय की स्थिति वाले पुद्गल, द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं, वे ही प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं।
भगवन् ! इन एकगुण काले, संख्यातगुणे काले, असंख्यातगुणे काले और अनन्तगुण काले पुद्गलों में ? गौतम ! परमाणुपुद्गलों के अनुसार यहाँ भी कहना । इसी प्रकार संख्यातगुणे काले इत्यादि, इसी प्रकार शेष वर्ण तथा गन्ध एवं रस के तथा स्पर्श के (अल्पबहत्व के) विषय में पूर्ववत् यथायोग्य समझ लेना। सूत्र - २९७
हे भगवन् ! अब मैं समस्त जीवों के अल्पबहत्व का निरूपण करने वाले महादण्डक का वर्णन करूँगा - १. सबसे कम गर्भव्युत्क्रान्तिक हैं, २. मानुषी संख्यातगुणी अधिक हैं, ३. बादर तेजस्कायिक-पर्याप्तक असंख्यात-गुणे हैं, ४. अनुत्तरौपपातिक देव असंख्यातगुणे हैं, ५. ऊपरी ग्रैवेयकदेव संख्यातगुणे हैं, ६. मध्यमग्रैवेयकदेव संख्यातगुणे हैं, ७. नीचले ग्रैवेयकदेव संख्यातगुणे हैं, ८. अच्युतकल्प-देव संख्यातगुणे हैं, ९. आरणकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, १०. प्राणतकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, ११. आनतकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, १२. सबसे नीची सप्तम पृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, १३. छठी तमःप्रभापृथ्वी के नैरयिक संख्यातगुणे हैं, १४. सहस्रारकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, १५. महाशुक्रकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, १६. पाँचवी धूमप्रभापृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, १७. लान्तक कल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, १८. चौथी पंकप्रभापृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, १९. ब्रह्मलोककल्प के देव असंख्यातगुणे, २०. तीसरी वालुकाप्रभापृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, २१. माहेन्द्रकल्प के देव संख्यातगुणे, २२. सनत्कुमारकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, २३. दूसरी शर्कराप्रभा पृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, २४. सम्मूर्छिम मनुष्य असंख्यातगणे हैं, २५. ईशानकल्प के देव असंख्यातगणे हैं, २६. ईशानकल्प की देवियाँ संख्यातगणी हैं, २७. सौधर्मकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, २८. सौधर्मकल्प की देवियाँ संख्यातगुणी हैं, २९. भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं, ३०. भवनवासी देवियाँ संख्यातगुणी हैं, ३१. प्रथम रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं । उनसे
३२. खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिक-पुरुष असंख्यातगुण हैं, ३३. खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिक स्त्रियाँ असंख्यातगुणी हैं, ३४. स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिक पुरुष संख्यातगुणे हैं, ३५. स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यंच-योनिक स्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, ३६. जलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक पुरुष संख्यातगुणे हैं, ३७. जलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिक स्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, ४०. ज्योतिष्क-देव संख्यातगुणे हैं, ४१. ज्योतिष्क-देवियाँ संख्यातगुणी हैं, ४२. खेचरपंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिक नपुंसक संख्यातगुणे हैं, ४३. स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिक नपुंसक संख्यात गुणे हैं, ४४. जलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिक नपुंसक संख्यातगुणे अधिक हैं, ४५. चतुरिन्द्रिय-पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ४६. पंचेन्द्रिय-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४७. (उनकी अपेक्षा) द्वीन्द्रिय-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४८. त्रीन्द्रिय-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४९. पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५०. चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५१. त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५२. द्वीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५३. प्रत्येकशरीर बादर वनस्पति-कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५४. बादर निगोद-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५५. बादर-पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५६. बादर-अप्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५७. बादर-वायुकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५८. बादर तेजस्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५९. प्रत्येकशरीर-बादर-वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं,
दरनिगोद-अपर्याप्तक असंख्यातगणे हैं, ६१. बादर पथ्वीकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगणे हैं, ६२. बादरअप्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६३. बादर-वायुकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६४. सूक्ष्म तेजस्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। उनसे
६५. सूक्ष्म पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ६६. सूक्ष्म अप्कायिक-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ६७. सूक्ष्म वायुकायिक, अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ६८. सूक्ष्म तेजस्कायिक-पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ६९. सूक्ष्म पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ७०. सूक्ष्म अप्कायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ७१. सूक्ष्म वायुकायिकपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ७२. सूक्ष्म निगोद-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ७३. सूक्ष्म निगोद-पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं,
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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