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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश /सूत्र
पद-३०-पश्यत्ता
सूत्र-५७३
भगवन् ! पश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की, -साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता । साकारपश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! छह प्रकार की-श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता, अवधिज्ञान०, मनःपर्यव-ज्ञान०, केवलज्ञान०, श्रुत-अज्ञान० और विभंगज्ञानसाकारपश्यत्ता । अनाकारपश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम! तीन प्रकार की-चक्षुदर्शनअनाकारपश्यत्ता, अवधिदर्शनअनाकारपश्यत्ता और केवलदर्शनअनाकारपश्यत्ता । इसी प्रकार समुच्चय जीवों में भी कहना ।
नैरयिक जीवों की पश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की-साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता । नैरयिकों की साकारपश्यत्ता चार प्रकार की है-श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता, अवधिज्ञान०, श्रुत-अज्ञान० और विभंगज्ञानसाकारपश्यत्ता । नैरयिकों की अनाकारपश्यत्ता दो प्रकार की है - चक्षुदर्शन-अनाकारपश्यत्ता और अवधिदर्शन-अनाकारपश्यत्ता । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक जानना ।
__ भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों की पश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! एक साकारपश्यत्ता । पृथ्वीकायिकों की साकारपश्यत्ता एकमात्र श्रुत-अज्ञान० है । इसी प्रकार वनस्पतिकायिकों तक जानना । द्वीन्द्रिय जीवों में एकमात्र साकारपश्यत्ता है । गौतम ! वह दो प्रकार की है-श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता और श्रुत-अज्ञानसाकारपश्यत्ता इसी प्रकार त्रीन्द्रिय जीवों को भी जानना । चतुरिन्द्रिय जीवों की पश्यत्ता दो प्रकार की है-साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता । इनकी साकारपश्यत्ता द्वीन्द्रियों के समान जानना । चतुरिन्द्रिय जीवों की अनाकारपश्यत्ता एकमात्र चक्षुदर्शन० है । मनुष्यों समुच्चय जीवों के समान है । वैमानिक पर्यन्त शेष समस्त दण्डकों की पश्यत्ता नैरयिकों के समान कहना।
भगवन् ! जीव साकारपश्यत्तावाले होते हैं या अनाकारपश्यत्तावाले ? गौतम ! दोनों होते हैं । क्योंकि-गौतम ! जो जीव श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी, मनःपर्यवज्ञानी, केवलज्ञानी, श्रुत-अज्ञानी और विभंगज्ञानी होते हैं, वे साकारपश्यत्ता वाले होते हैं और जो जीव चक्षुदर्शनी, अवधिदर्शनी और केवलदर्शनी होते हैं, वे अनाकारपश्यत्ता वाले होते हैं । नैरयिक जीव साकारपश्यत्ता वाले हैं या अनगारपश्यत्ता वाले ? गौतम ! पूर्ववत्, परन्तु इनमें साकार-पश्यत्ता के रूप में मनःपर्यायज्ञानी और केवलज्ञानी तथा अनाकारपश्यत्ता में केवलदर्शन नहीं है । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक कहना । पृथ्वीकायिक जीवों में पूर्ववत् प्रश्न | गौतम ! पृथ्वीकायिक जीव साकारपश्यत्ता वाले हैं, क्योंकि-गौतम ! पृथ्वीकायिकों में एकमात्र श्रुत-अज्ञान होने से साकारपश्यत्ता कही है। इसी प्रकार वनस्पति-कायिकों तक कहना।
भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीव साकारपश्यत्तावाले हैं या अनाकारपश्यत्तावाले ? गौतम ! वे साकारपश्यत्ता वाले हैं। क्योंकि-गौतम द्वीन्द्रिय जीवों की दो प्रकार की पश्यत्ता है । श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता और श्रुत-अज्ञानसाकार-पश्यत्ता । इसी प्रकार त्रीन्द्रिय जीवों में समझना । भगवन् ! चतुरिन्द्रिय जीव साकारपश्यत्तावाले हैं या अनाकार-पश्यत्तावाले हैं? गौतम ! दोनों हैं । क्योंकि-गौतम ! जो चतुरिन्द्रिय जीव श्रुत-ज्ञानी और श्रुत-अज्ञानी हैं, वे साकारपश्यत्ता वाले हैं और चतुरिन्द्रिय चक्षुदर्शनी हैं, अतः अनाकारपश्यत्ता वाले हैं । मनुष्यों, समुच्चय जीवों के समान हैं | अवशिष्ट सभी वैमानिक तक नैरयिकों के समान जानना । सूत्र- ५७४
भगवन् ! क्या केवलज्ञानी इस रत्नप्रभापृथ्वी को आकारों से, हेतुओं से, उपमाओं से, दृष्टान्तों से, वर्णों से, संस्थानों से, प्रमाणों से और प्रत्यवतारों से जिस समय जानते हैं, उस समय देखते हैं तथा जिस समय देखते हैं, उस समय जानते हैं ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । क्योंकि-गौतम ! जो साकार होता है, वह ज्ञान होता है और जो अनाकार होता है, वह दर्शन होता है, इसलिए जिस समय साकारज्ञान होगा, उस समय अनाकारज्ञान (दर्शन) नहीं रहेगा, इसी प्रकार जिस समय अनाकारज्ञान (दर्शन) होगा, उस समय साकारज्ञान नहीं होगा । इसी प्रकार शर्कराप्रभापृथ्वी से यावत् अधःसप्तमनरकपृथ्वी तक जानना और इसी प्रकार सौधर्मकल्प से लेकर अच्युतकल्प, ग्रैवेयक
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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