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आगम सूत्र १४, उपांगसूत्र-३, 'जीवाजीवाभिगम'
प्रतिपत्ति/उद्देश-/सूत्र आगमसूत्र-१४- 'जीवाजीवाभिगम'
उपांगसूत्र-३ -हिन्दी अनुवाद
पृष्ठ
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कहां क्या देखे? पृष्ठ क्रम
विषय ००५ ०४ चतुर्थी- "पंचविह" पतिपत्ति ००७ | ०५ | पंचमी- "छव्विह" प्रतिपत्ति ०२७ ०२७ | ०६ षष्ठी- "सत्तविह" पतिपत्ति | ०३९ | ०७ सप्तमी- "अट्ठविह" प्रतिपत्ति
०४३ ०५३ | ०८
अष्टमी- "नवविह" प्रतिपत्ति ०५५ | ०९ नवमी- "दशविह" प्रतिपत्ति १०२ १०३ |
| १० | "सव्वजीव" प्रतिपत्ति
क्रम
विषय प्रथमा- "दुविह" प्रतिपत्ति ०२ द्वितिया "त्रिविह" प्रतिपत्ति
तृतीया "चउब्विह" प्रतिपत्ति ० नैरयिक ० तिर्यञ्चयोनिक ० मनुष्य ० देव-भवनवासि आदि ० द्वीप-समुद्र ० इन्द्रियविषय
देव-ज्योतिष्क, वैमानिक ० स्थिति, अल्पबहत्व
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मुनि दीपरत्नसागर कृत्- (जीवाजीवाभिगम) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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