________________
आगम सूत्र ११, अंगसूत्र-१, 'विपाकश्रुत'
श्रुतस्कन्ध/अध्ययन/ सूत्रांक अहो भगवन् ! अंजू देवी काल करके कहाँ जाएगी? कहाँ उत्पन्न होगी? हे गौतम ! अंजू देवी ६० वर्ष की परम आयु को भोगकर काल करके इस रत्नप्रभा नामक पृथ्वी में नारकी रूप से उत्पन्न होगी । उसका शेष संसार प्रथम अध्ययन की तरह जानना । यावत् वनस्पतिगत निम्बादि कटुवृक्षों तथा कटुदुग्ध वाले अर्क आदि पौधों में लाखों बार उत्पन्न होगी । वहाँ की भव-स्थिति को पूर्ण कर इसी सर्वतोभद्र नगर में मयूर के रूप में जन्म लेगी। वहाँ वह मोर व्याधों के द्वारा मारे जाने पर सर्वतोभद्र नगर के ही एक श्रेष्ठिकुल में पुत्र रूप से उत्पन्न होगी । वहाँ बालभाव को त्याग कर, युवावस्था को प्राप्त कर, विज्ञान की परिपक्व अवस्था को प्राप्त करते हुए वह तथारूप स्थविरों से बोधिलाभ को प्राप्त करेगा । तदनन्तर दीक्षा ग्रहण कर मृत्यु के बाद सौधर्म देवलोक में उत्पन्न होगा। भगवन् ! देवलोक की आयु तथा स्थिति पूर्ण हो जाने के बाद वह कहाँ जाएगा? कहाँ उत्पन्न होगा ? गौतम ! महाविदेह क्षेत्र में जाएगा । वहाँ उत्तम कुल में जन्म लेगा । यावत् सिद्ध बुद्ध सब दुःखों का अन्त करेगा । हे जम्बू! इस प्रकार श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने दःखविपाक नामक दशम अध्ययन का यह अर्थ प्रतिपादन किया है। भगवन् ! आपका यह कथन सत्य है।
अध्ययन-१०-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
श्रुतस्कन्ध-१ पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (विपाकश्रुत) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
Page 42