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________________ आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2' शतक/वर्ग/उद्देशक/ सूत्रांक उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्यात आकाश-प्रदेशों में अवगाढ़ हैं और जो युग्म-प्रदेशिक प्रतरवृत्त है, वह जघन्य बारह प्रदेश वाला और बारह आकाश-प्रदेशों में अवगाढ़ होता है तथा उत्कृष्ट अनन्तप्रदेशिक और असंख्यात आकाश-प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । घनवृत्तसंस्थान दो प्रकार का ओज-प्रदेशिक और युग्म-प्रदेशिक । ओजप्रदेशिक जघन्य सात प्रदेश वाला और सात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशों वाला और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ है । युग्म-प्रदेशिक घनवृत्तसंस्थान जघन्य बत्तीस प्रदेशों वाला और बत्तीस आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है, उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशों वाला और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ है सूत्र- ८७२ भगवन् ! त्रयस्त्रसंस्थान कितने प्रदेश वाला और कितने आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ कहा गया है ? गौतम ! त्रयस्रसंस्थान दो प्रकार का घनत्र्यस्र और प्रतरत्र्यस्र । उनमें से जो प्रतरत्र्यस है, वह दो प्रकार ओज-प्रदेशिक और युग्म-प्रदेशिक । ओज-प्रदेशिक जघन्य तीन प्रदेश वाला और तीन आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशों वाला और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है । उनमें से जो घनत्र्यस्र है, वह दो प्रकार का-ओज-प्रदेशिक और युग्म-प्रदेशिक । ओज-प्रदेशिक घनत्र्यस्र जघन्य पैंतीस प्रदेशों वाला और पैंतीस आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ होता है। युग्म-प्रदेशिक घनत्र्यस जघन्य चार प्रदेशों वाला और चार आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। भगवन् ! चतुरस्रसंस्थान कितने प्रदेश वाला, कितने प्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! चतुरस्रसंस्थान दो प्रकार का-घन-चतुरस्र और प्रतरचतुरस्र, इत्यादि, वृत्तसंस्थान के समान, उसमें से प्रतर-चतुरस्र के दो भेद-ओजप्रदेशिक और युग्मप्रदेशिक कहना । यावत् ओज-प्रदेशिक प्रतर-चतुरस्र जघन्य नौ प्रदेश वाला और नौ आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्येय आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है । युग्म-प्रदेशिक प्रतरचतुरस्र जघन्य चार प्रदेश वाला और चार आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्येय प्रदेशों में अवगाढ़ होता है। घन-चतुरस्र दो प्रकार का ओज-प्रदेशिक और युग्म-प्रदेशिक | ओज-प्रदेशिक घन-चतुरस्र जघन्य सत्ताईस प्रदेशों वाला और सत्ताईस आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्येय आकाश-प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । युग्म-प्रदेशिक घन-चतुरस्र जघन्य आठ प्रदेशों वाला और आठ आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्येय आकाश प्रदेशों में अवगाढ़ होता है। भगवन् ! आयतसंस्थान कितने प्रदेश वाला और कितने आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! आयतसंस्थान तीन प्रकार का-श्रेणी-आयत, प्रतर-आयत और घन-आयत । श्रेणी-आयत दो प्रकार का-ओजप्रदेशिक और युग्म-प्रदेशिक । ओज-प्रदेशिक वह जघन्य तीन प्रदेशों वाला और तीन आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है । युग्म-प्रदेशिक जघन्य दो प्रदेश वाला और दो आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्तप्रदेशिक और असंख्यात-प्रदेशावगाढ़ होता है । प्रतर-आयत दो प्रकार काओज-प्रदेशिक और युग्म-प्रदेशिक । ओज-प्रदेशिक, जघन्य पन्द्रह आकाश-प्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्येय आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है । जो युग्म-प्रदेशिक है, वह जघन्य छह प्रदेश वाला और छह आकाशप्रदेशों में उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय आकाश-प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । घन-आयत है, दो प्रकार का ओज-प्रदेशिक और युग्मप्रदेशिक । जो ओज-प्रदेशिक है, वह जघन्य पैंतालीस प्रदेशों वाला और पैंतालीस आकाशप्रदेशों में उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्येय आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है । युग्म-प्रदेशिक जघन्य बारह प्रदेशों वाला और बारह आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय प्रदेशों में अवगाढ़ होता है सूत्र-८७३ भगवन् ! परिमण्डल-संस्थान कितने प्रदेशों वाला इत्यादि प्रश्न । गौतम ! परिमण्डलसंस्थान दो प्रकार काघन-परिमण्डल और प्रतर-परिमण्डल । प्रतर-परिमण्डल, जघन्य बीस प्रदेश वाला और बीस आकाशप्रदेशों में उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है । घन-परिमण्डल जघन्य चालीस प्रदेशों वाला और मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 180
SR No.034672
Book TitleAgam 05 Bhagwati Sutra Part 02 Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size6 MB
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