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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2'
शतक/वर्ग/उद्देशक/ सूत्रांक स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु-पुद्गल और एक ओर दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल, एक ओर दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध और एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल तथा एक ओर चार द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । सात विभाग से एक ओर पृथक्-पृथक् छह परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् पाँच परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक और पृथक्-पृथक् चार परमाणु-पुद्गल और एक ओर तीन द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । आठ विभाग से-एक ओर पृथक्पृथक् सात परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् छह परम पुद्गल और एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । नौ विभाग से-एक ओर पृथक्-पृथक् आठ परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है। दस विभाग किये जाने पर पथक-पथक दस परमाण-पदगल होते हैं।
भगवन् ! संख्यात परमाणु-पुद्गलों के संयुक्त होने पर क्या बनता है ? गौतम ! वह संख्यातप्रदेशी स्कन्ध बनता है। यदि उसके विभाग किये जाएं तो दो तीन यावत् दस और संख्यात विभाग होते हैं । दो विभाग से-एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक संख्येय प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है । इसी प्रकार यावत् एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। तीन विभाग से-एक ओर दो पृथक्-पृथक परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक
ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है । इस प्रकार यावत्-अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी-स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और एक ओर दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । इस प्रकार यावत्-अथवा एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा तीन संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं।
चार विभाग किये जाते हैं तो एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध
क ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है । इस प्रकार यावत्-अथवा एक ओर दो पृथक्-पृथक् परमाणु-पुद् गल, एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्वि-प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । यावत्-अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और एक ओर तीन संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । इस प्रकार यावत्-एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध होता है और एक ओर तीन संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा चारों संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । इसी प्रकार पंचसंयोगी, यावत् नव-संयोगी विकल्प तक कहना । उसके दस विभाग किये जाने पर -एक ओर पृथक्-पृथक् नौ परमाण-पुदगल और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् आठ परमाणुपुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है । इसी क्रम से यावत् एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक और नौ संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा दस संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। यदि उसके संख्यात विभाग किया जाए तो पृथक्-पृथक् संख्यात परमाणु-पुद्गल होते हैं।
भगवन् ! असंख्यात परमाणु-पुद्गल के इकट्ठे होने पर क्या होता है ? गौतम ! एक असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होता है । उसके विभाग से दो, तीन यावत् दस विभाग भी होते हैं, संख्यात विभाग भी होते हैं, असंख्यात विभाग भी।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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