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________________ आगम सूत्र ३, अंगसूत्र - ३, 'स्थान' कुछ अधिक आठ योजन का है । कूट शाल्मली वृक्ष का परिमाण भी इसी प्रकार है । सूत्र- ७४८ तमिस्रा गुफा की ऊंचाई आठ योजन की है। खण्डप्रपात गुफा की ऊंचाई भी इसी प्रकार आठ योजन की है। सूत्र - ७४९ स्थान / उद्देश / सूत्रांक जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पूर्व में सीता महानदी के दोनों किनारों पर आठ वक्षस्कार पर्वत हैं, यथा-चित्रकूट, पद्मकूट, नलिनीकूट, एकशेलकूट, त्रिकूट, वैश्रमणकूट, अंजनकूट, मातंजन कूट । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के किनारों पर आठ वक्षस्कार पर्वत हैं । यथा- अंकावती, पद्मावती, आशीविष, सुखावह, चन्द्रपर्वत, सूर्यपर्वत, नागपर्वत, देव पर्वत । वर्ती पर्वत के पूर्व में सीता महानदी के उत्तरी किनारे पर आठ चक्रवर्ती विजय हैं, यथा- कच्छ, सुकच्छ, महाकच्छ, कच्छगावती, आवर्त यावत् पुष्कलावती विजय । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में आठ चक्रवर्ती विजय हैं, यथा- वत्स, सुवत्स यावत् मंगलावती । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में आठ चक्रवर्ती विजय हैं, पद्म यावत् सलीलावती । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पश्चिम में शीतोदा के उत्तर में आठ चक्रवर्ती विजय हैं, यथा- वप्रा, सुवप्रा, यावत् गंधिलावती । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पश्चिम में शीता महानदी के उत्तर में आठ राजधानियाँ हैं, यथा-क्षेमा, क्षेमपुरी, यावत्-पुंडरिकिणी । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में आठ राजधानियाँ हैं । यथासुसीमा, कुंडला यावत्, रत्नसंचया । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में आठ राजधानियाँ हैं, अश्वपुरा यावत् वीतशोका । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के उत्तर में आठ राजधानियाँ हैं, यथा-विजया, वैजयन्ती - यावत् अयोध्या । सूत्र - ७५० जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के उत्तर में, उत्कृष्ट आठ अर्हन्त, आठ चक्रवर्ती, आठ बलदेव और आठ वासुदेव उत्पन्न हुए, होते हैं और होंगे। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में इतने ही अरिहंत आदि हुए हैं, होते हैं और होंगे । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में इतने ही अरिहंत आदि हुए हैं, होते हैं और होंगे। उत्तर में भी इतने ही अरिहंत आदि हुए हैं, होते हैं और होंगे । सूत्र - ७५१ जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत से में शीता महानदी के उत्तर में आठ दीर्घ वैताढ्य, आठ तमिस्रगुफा, आठ खंडप्रपातगुफा, आठ कृतमालक देव, आठ नृत्यमालक देव, आठ गंगाकुण्ड, आठ सिन्धुकुण्ड, आठ गंगा, आठ सिन्धु, आठ ऋषभकूट पर्वत और आठ ऋषभकूट देव हैं । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में आठ दीर्घवैताढ्य हैं- यावत् आठ ऋषभकूट देव हैं । विशेष यह कि-रक्ता और रक्तवती नदियों के कुण्ड हैं । जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत से पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में आठ दीर्घ वैताढ्य पर्वत हैं यावत्-आठ नृत्यमालक देव हैं, आठ गंगाकुण्ड, आठ सिन्धुकुण्ड, आठ गंगा ( नदियाँ), आठ सिन्धु नदियाँ, आठ ऋषभकूट पर्वत और आठ ऋषभकूट देव हैं। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के उत्तर में आठ दीर्घ वैताढ्य पर्वत हैं यावत्-आठ नृत्यमालक देव हैं। आठ रक्त कुण्ड हैं, आठ रक्तावती कुण्ड हैं, आठ रक्ता नदियाँ हैं यावत् आठ ऋषभकूट देव हैं। सूत्र - ७५२ मेरु पर्वत की चूलिका मध्यभाग में आठ योजन की चौड़ी है । सूत्र - ७५३ धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध में धातकी वृक्ष आठ योजन का ऊंचा है, मध्य भाग में आठ योजन का चौड़ा है, और इसका सर्व परिमाण कुछ अधिक आठ योजन का है । धातकी वृक्ष से मेरु चूलिका पर्यन्त सारा कथन जम्बूद्वीप मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (स्थान) " आगमसूत्र - हिन्द- अनुवाद” Page 130
SR No.034669
Book TitleAgam 03 Sthanang Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size4 MB
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