________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पावाए मज्झिमाए हथिवालस्स रनो रज्जुगसहाए अपच्छिम अंतरावास वासावासं उवागए ॥ १२२॥ तत्य ण जे से पावाए मज्झिमाए हत्थिवालस्स रनो रज्जुगसभाए अपच्छिमं अंतरावासं वासावासं उवागए, तस्स णं अंतरावासस्स जे से वासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तियबहुले तस्स णं कत्तियवहुलस्स पनरसीपक्खेणं जा सा चरिमा रयणी तं रयणि च णं समणे भगवं महावीरे कालगए विहकते समुज्जाए छिनजाइजरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिव्वुडे सव्वदुक्खपहीणे चंदे नाम से दोचे संवच्छरे पीतिवद्धणे मासे नंदिवद्धणे पक्खे सुव्वयग्गी नाम से दिवसे उवसमि ति पवुच्चइ देवाणंदा नाम सा रयणी निरइ ति पवुच्चइ अच्चे लवे मुहुत्ते पाणू थोवे सिद्धे नामे करणे सवट्ठसिद्धे मुहुत्ते साइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं कालगए विइकते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे॥१२३॥ ज रयणि च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जावं सव्वदुक्खप्पहीणे सा णं रयणी बहूहि देहि य देवेहि य ओक्यमाणेहि य उप्पयमाणेहि य उज्जोविया यावि होत्था ॥१२४॥ जं रयणि च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे सा ण रयणी बहूहि देवेहि य देवीहि य ओवयमाणेहि य उप्पयमाणेहि य उप्पिजलगमाणभूया कहकहगभूया या वि होत्या॥१२५॥ जं रयणि च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सम्बदुक्खप्पहीणे तं स्यर्णि च णं जेट्ठस्स गोयमस्स इंदभूइस्स अणगारस्स अंतेवासिस्स नायए पेजबंधणे वोच्छिन्ने अणंते अणुत्तरे जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पने ॥ १२६॥ ज रयणि च णं समणे जार सम्बदुक्खप्पहीणे तं स्यणि च णं नव मल्लई नव लिच्छई कासीकोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो अमावसाए पाराभोयं पोसहोववासं पट्टवइंसु, गते से
For Private And Personal Use Only