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॥ श्रीः॥
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श्रीसूर्यसिद्धान्त।
(पूर्वोत्तरखण्ड समग्र) गूढार्थप्रकाशसंस्कृतटीका
और
भाषाटीकासमेत ।
-00 -- "यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा ।। तद्ववेदाङ्गशास्त्राणां गणितं मूर्द्धनि स्थितम् ॥"
जिसको मुरादाबादस्थ पं०-बलदेवप्रसादमिश्रजीसे
भाषानुवाद कराय, ज्योतिर्विदोंके लाभार्थगंगाविष्णु श्रीकृष्णदास, अध्यक्ष लक्ष्मीषकटेश्वर " छापेखानेमें मैनेजर पं० शिषदुलारे पानपेयीने मालिकके लिये
छापकर प्रसिद्ध किया. संवत् १९८०, शके १८४५.
कल्याण-मुंबई. इस पुस्तकका सब हक्क यंत्राधिकारीने स्वाधीन रक्खा है ।
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