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भी सुधर्मगह परीक्षा.
(२)
उत्तर १-या बाबत संबंधी चूर्णिकारे श्री कालिकाचा
र्यजीने उदेशीने कशीपण हकीकत दर्शावी नथी. प्रभ-श्रार्यकालिकसूरिमहाराज एकज थया ले के
जुदा जुदा थया ? उत्तर :-ए नामवाळा श्राचार्य एकज नथी थया, परंतु
जुदा जुदा यया , ते एके-एक कालिकाचार्य दत्तपुरोहितना मामा तरीके श्रोळखमा यावे एम योगशास्त्रनो बीजो प्रकाश साविती थापे, अने ते कालिकाचार्यना नाणेज दत्तपुरोहिते तेज प्राचार्यने पूबयु के-'महाराजजी! यतुं शुं फल मले ?' आना उत्तरमा गुरुए कञ्यु के'यज्ञना फखमां नरक मले!' इत्यादि इत्यादि. वली पूर्वश्रुतसमृक थार्यकालिकाचार्य के जे आर्यश्यामाचार्यना नामथी पण थोलखमा यावे डे अने तेमणेज श्री पन्नवणा उहरेस एम श्री पनवणानी टीकाज साबिती आपो रहेख ले!
वली श्रार्यकालिकाचार्य सूक्ष्म निगोद संबंधी व्याख्या प्रकाशक तरीके थोलखमां आवे के एम श्री नियुक्तिनो टीका तेमनी कथासहित साक्षी थाप !
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