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कायदो करवानी जरूर छे. कायदो थवाथी हाल दीक्षा संबंधे चालता झगडा, साधुओ उपर मूकाता अपवादो अने कुटुंबमां थतो क्लेश पण बंध थशे अने जेओ समजथी अने लागतावळगतानी संमतिथी दाक्षा लेवा योग्य हशे तेज दीक्षा लई शकशे. आधी दीक्षानुं महत्व घटवाने बदले उलटुं वधशे; साधु संस्था कांई बंध नहीं थई जाय पण तेमा दाखल थवा लायक हशे तेज दाखल थई शकशे अने तेथी साधु संस्था प्रत्ये जैन समाजनी हाल जे भावना छे तेमां घटाडो थवाने बदले उलटो वधारो थशे. ६८. हवे सरकार तरफथी कायदानो जे खरडो प्रसिद्ध थयो छे तेमां कई फेर
फार करवा जेवो छे के केम अने हशे तो शो तेनो प्रसिद्ध थयेला खरडामा केवो फेरफार करतो ते बाबत विचार करशु. कायदा (निबंध) ने " संन्यास
दीक्षा प्रतिबंधक निबंध " एवं नाम आपेलु छे ते उपरथी केटलाकनी एवी समज थयेली छे के आ कायदानो हेतु संन्यास दीक्षा बंध करवानो छे. परंतु ते समजुत बरोबर नथो. कायदो करवानो हेतु दीक्षा समूळगी बंध करवानो नहीं पण कुमळी वयनां बाळकोने अपाती अयोग्य दीक्षा बंध करवानो छे. कोइपण प्रकारनी गेरसमज रहे नहीं अने कायदाना नाम उपरथी तेनो हेतु समजी शकाय एटला माटे अमारी सूचना एवी छे के सरकारे करवा धरेला आ कायदान नाम " संन्यास दीक्षा प्रतिबंधक निबंध " एव॒ राखवाने बदले " संन्यास दीक्षा नियामक निबंध " एवं राखवू; अने ते वात हेतु अने कारणोमा स्पष्ट करवी. ६२. परिशिष्ट १ ना मुसद्दानी कलम ३ नी पेटाकलम (१) सज्ञानपणानी उमर अने
पाल्यपालक संबंधी निबंधनी कलम ४ मां सज्ञान वयनी १६ वर्षथी कमी उमरना माटे दीक्षानो प्रतिबंध.
- यत्ता अढार वर्षनी ठराववामां आवी छे ते धोरणे राख
वामां आवी छे. संन्यास दीक्षा लेवाने ए उमर कई वधारे नथी. परिच्छेद ४१ मां अमे जे विवचन कर्यु छे ते प्रमाणे संन्यास दीक्षानो हेतु बरोबर समजी मोटी उमरे संन्यास लेवाय तेज सारं छ; अने तेटला माटे १८ के २० वर्षनी यत्ता कई वधारे नथी. परंतु अमे आगळ बताव्यु छे तेम पालग पालक निबंधमां अज्ञान वयनी जे यत्ता ठरावी छे, ते एज कायदानी कलम ६ थी धर्म अथवा धर्म संबंधी कृत्योना संबंधमा लागू थती नथी. मनुष्यहरण गुन्हामा अने हिंदु धर्मशास्त्र अने सरेह प्रमाणे लग्न माटे संमति आपवानी वय सोळ करतां वधारे राखेली नथी. फोजदारी कायदा प्रमाणे १४ वर्षना छोकगने अगर १६ वर्षनी छोकरीने तेनी समतिथी कोई लई जाय तो ते मनुष्यहरणनो गुन्हो यतो नथी. वळी दीक्षा नियामक कायदो करवानो हेतु ए छे के सगीर वयनां छोकरी जे उमरे पोतानी मेळे संमति आपवाने नालायक होय तेमने मात्र तेमनो संमति उपरथी अगर तेमनां मावापनी संमति लइने अगर लीधा वगर छानीमानी रीते दीक्षा आपी देवाय ते अटकाववानो छे. तेथी कमीमां कमी जे उमरे छोकरो के छोकरा पोतानी जाते कायदा प्रमाणे संमति आपो शकतां होय ते उमर लक्षमा राखीने विचार करतां एम लागे छे के १८
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