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शासकने नष्टभ्रष्ट करी मूके छे. वळी कौटिल्ये कयुं छे के " जे माणस पोतानी पत्नी अने बाळबच्चां माटे योग्य बंदोबस्त कर्या वगर घर छोडे अर्थात् संन्यास अखत्यार करे तेने " साहस दंड " नी सजा थवी जोईए; अने जे कोई स्त्रीने प्रव्रज्या वा ते पण तेटलीज सजा करवी जोईए. जे माणसे पोतानी ताकाद गुमावी दीधी होय ते न्यायाधिशीनी परवानगीथी प्रव्रज्या लई शके, पण तेम करवानुं ( परवानगी लेवानुं ) जो चूकी जाय तो तेने केद करवो जोईए.'
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कायदानो अमल केवो थशे.
६७. वडोदरा राज्ये एकलाए कायदो करवानी विरूद्ध एक दलील एवी करवामां आवी छे के आखा हिंदुस्थानमां जैनोनी वस्ती १२,५२,१०५ छे ते पैकी २,००,०१६ मुम्बाई इलाकाम छे अने वडोदरा राज्यमां मात्र ४८, ४०८ छे. तेथी आखा हिंदने माटे कायदो या वगर मात्र वडोदरा राज्यमां करवामां आवे तेथी कांई धारेलो सुधारो थई शके नहीं; कारण के वडोदरा राज्य बहार ज्यां एवो कायदो न होय त्यां जईने वडोदरावासीओने दीक्षा आपवामां आवे तो तेओ कायदाना अमलमांथी सहेलाईथी छटकी जई शके. बाळलग्न प्रतिबंधक निबंधना संबंधमां पण आवीज दलील करवामां आवी हती, परंतु ते परिणामे निरर्थक जणाई हती; तेम दीक्षाना कायदाना संबंधमां आ दलील निरर्थक छे. फोजदारी काम चलाववानी रीतना निबंधनी कलम १८९ प्रमाणे आ राज्यनी रैयत पैकी कोई सखसे आ राज्यनी बहार करेलुं कृत्य आ राज्यना कायदा प्रमाणे गुन्हो यतुं होय पण जे ठेकाणे ते कृत्य करवामां आव्युं होय त्यांना कायदा प्रमाणे गुन्हो यतुं न होय त्यांरे एवा कोईपण गुन्हा बाबत हजरना अथवा हजरे आ बाबत जेने अधिकार आप्यो होय ते अमलदारना हुकमधी एवा कृत्य बद्दल आ राज्यमां काम चलावी शिक्षा थई शके छे. वळी जेम शरूआतमां बाळलग्न प्रतिबंधक निबंधनो कायदो प्रथम आ राज्यमां अने म्हैसूरमां थयो हतो अने पाछळधी तेनुं अनुकरण करी बीज घणाखरा राज्योमां अने ब्रिटिश इंडियामां पण थयो छे अने लग्न करवानी उमर पण प्रथम करतां घणी वधारवामां आवी छे ते प्रमाणे संन्यास दीक्षाना नियमन संबंधी कायदानी पण बीजा राज्योमां जरूर जणाशे तो ते प्रमाणे त्यां पण कायदो थशेज. एवे प्रसंगे त्यां दीक्षा लेवानी उमरनी यत्ता अहिंना करतां पण उंची राखवामां आवे ए बनवा जोग छे. वडोदरा राज्यना जैन लोकोनो मोटो भाग कायदो करवानी तरफेणमां छे. कायदा सामे जेमना तरफथी वधारे विरोध थयो छे ते वडोदरा राज्य बहारनानो छे. तेमनो ए विरोध मुख्यत्वे करीने एवी धास्तीथी थयेलो छे के आवो कायदो करवानी वडोदरा राज्य पहेल कर तो बीजा राज्यमां पण आवो कायदो थई जाय. परंतु जो जरूर होय तो बीजे ठेकाणे पण कायदो थाय तेथी कोईए बीवानुं कांई कारण नथी. वास्तविक प्रश्न ए जोवानो छे के आवी बाबतमां कायदो करवानी आवश्यकता छे के नहीं. अमे आ निवेदनमां जणावेली एकंदर हकीकत उपरथी अमारो अभिप्राय एवो थयोछे के १ कौटिल्य अर्थशास्त्र.
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