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वांघो लेवा जेवू के शास्त्र विरुद्ध होतुं नथी तेथी परिणामे दीक्षाना विरोधीओ आवी दीक्षा बंध कराववानी धारणामां निष्फळ नीवडे छे, तेथी सरकार आगळ खोटो उहापोह करी रह्या छे. ____३८. अमारी आगळ बन्ने पक्ष सरफथी जे लेखी हकीकतो आवी छे तथा
रुबरु जुबानीओ थई छे ते उपरथो अमारी मान्यता निर्णय करवाना मुद्दा.
एवी थई छे के एक पक्ष तरफथी खरी वस्तुस्थितिनी कईक अतिशयोक्ति करवामां आवे छे, तोपण वास्तविक रीते तेना तरफथी मुकवामां आवता आक्षेप बीनपायादार नथी; परंतु एथी उलट सामा पक्ष तरफथी खरी हकी कत खुल्ला दीलथी कबूल न करता ते छुपाववा अने अयोग्य रीते दीक्षा आपनारनो खोटो बचाव करवा प्रयत्न थाय छे. बन्ने पक्ष तरफथी कहेवामां आवती हकीकत उपरथी तकरारी बाबतोमा विचार करवाना मुद्दा नीचे प्रमाणे जणाय छे:
(१) दीक्षा आपवा माटे सगीरोने फोसलाववामां आवे छे के केम ? (२) दीक्षा आपवा माटे सगीरोने नसाडवा भगाडवामां आवे छे के केम ! (३) दीक्षार्नु रहस्य न समजे एवाने दीक्षा आपवामां आवे छे के केम ? (४) माबाप विगेरेनी संमति लीधा वगर सगीरोने छुपी रीते दीक्षा अपाय छे
के केम ? (५) सज्ञान उमरनाने दीक्षा आपता पहेला माबोप, स्त्री विगेरेनी संमति लेवाय
छे के केम? (६) सोळ वर्ष उपरनाने माटे एवी संमितिनी जरूर छे के केम ? (७) संघनी संमति लेवार्नु आवश्यक छ के केम ? आ मुद्दाओनो हवे पछीना परिच्छेदोमां अनुक्रमवार विचार करीशु.
३९. साधुओ पोते थईने सगीरोने दीक्षा लेवा फोसलावे छे ए आरोप अमने सगीरने फोसलाववानो आरोप.
- पुरवार थयेलो लागतो नथी. कोई साधुए कोई सगीरने
" फोसलाव्यानी हकीकत अमारा आगळ आवी नथी. ए वात खरी छे के साधुओ पोताना प्रवचन वखते तथा बोध आपवाना इतर प्रसंगे जैनो आगळ दीक्षाना महत्व उपर भार मुके छे अने जो कर्मनो क्षय करी मोक्ष मेळववो होय तो तेनुं सर्वथी उत्तम साधन दीक्षा छे एम आग्रहपूर्वक कहे छे. परंतु आ बोध सामान्य रीते प्रवचन वखते हाजर थयेला सर्व श्रेोता जनोने एटले के तमाम श्रावक श्राविकाओने खुल्ली रीते करवामां आवे छे, मात्र सीरोने छुपी रीते कई कहे. वामां आवतुं होय अगर लालच आपवामां आवती होय तेम जणातुं नथी. दीक्षाना फळनु महत्व बतावी दीक्षा लेवानो बोध करवामां आवतो होय तेटला उपरथी दीक्षा लेवाने फोसलाव्या एम कंई कहेवाय नहीं. दीक्षा लेशो तो तमार। देहनो मोक्ष थशे
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