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आश्रय आपी अधर्मने अणघटतुं उत्तेजन आपे छे. हिंदु गृहस्थो पोतानां देवस्थान अने साधुओ उपर अंकुश राखे ए ईच्छवा जोग छे अने आ बाबतमां जैनोनी संघव्यवस्थामांथी तेमणे घणुं शीखवानुं छे. आवा मिथ्याचारी हिंदु त्यागीओने लीधे शंकराचार्यना पूर्वगामी कर्ममिमांसकोए त्यागाश्रमनो बळवान विरोध को हतो. त्यागनी महत्ता तेना वैराग्य अने तपोबळ उपर छे. आ वे अंशनो लोप थाय तो त्याग प्रजानो भारे अनर्थ करे छे. आथी त्यागनो पुनरुद्धार हिंदुओमां शंकराचार्ये कर्यो त्यारे मठाम्नाय व्यवस्था राखी हती अने वैदिक प्रजाए तेने टेको आप्यो हतो. हाल ते व्यवस्थानो लोप थयो छे अने श्रृंगेरी मठ शिवाय अन्यत्र संन्यासीओ अने त्यागीओ उपर कंई पण अंकुश राखी शके एवी व्यवस्था जोवामां आवती नथी. मात्र शंकराचायनी गादीना झगडा अने ताणाताण विना कंई पण धर्मकार्य थतुं जोवामां आवतुं नथी; अने तेटलाज माटे थोडा लायक संन्यासीओने अपवाद तरीके बाद करतां एकंदर साधु संस्था उपर समजदार लोकोमा विशेष आस्था रही नथी.' ३३. जैनोमां तेथी नदी वस्तुस्थिति छे. तेमनामां श्रावक श्राविका, साधु अने
साध्वी, ए चारेनो संघ बनेलो होय छे. संघ, धार्मिक संघनी साधु उपर असर.
शासन साधुओना हाथमां होय छे अने एमनी मर्यादा नीचे वीजा सौ चाले छे. साध अने साध्वीओनो जीवन निर्वाह धार्मिक श्रावकोना दानने आधारे चाले छे अने तेथी तेओ तेटले अंशे श्रावकोने आधीन छे. जैन धार्मिक साधुसंघ अने श्रावकसंघ वच्चे बहू निकटनो संबंध छे. छेल्ला तीर्थकर महावीर स्वामीए संघनी जे दृढ योजना बांधेली छे तेने अनुसरीने ते काळथी श्रावक संघ साधुसंघ उपर कंई अंशे सत्ता भोगवतो आवे छे अने तेथी सत्ता मेळववाना के कोई सांसारिक बाबतोमां माथां मारवाना प्रयत्नोथी साधुने दूर रहेQ पडे छे; अने साधु जीवन उपर संयम राखीने तेमने पोतानी उच्चता जाळवी राखवी पडे छे.राजपूतानाना अने गुजरातना साधुसंघमां धीरे धीरे श्रावकोने एवी सत्ता मळी गई छे के तेओ साधुओनी दीक्षा, शिक्षा अने चारित्र उपर कंईक सत्ता भोगवे छे.आना केटलाक दाखला प्रोफेसर हेल्मूट ग्लाझेनाथे पोताना जैन धर्मना पुस्तकमां आपेला छे. ते पैकी एक एवो छे के १९१३ ना अरसामां जीनसेन नामनो साधु श्रावको पासेथी भिक्षा लईने पोतानो उदर निर्वाह करतो हतो. केटलाक जैनोए ए साधुना पूर्वजीवन विषे तपास चलावी तेमां एवू मालम पड्डयुं के ते साचो साधु नहोतो पण जेम तेम निर्वाह चलावी शकाय एटला माटे तेणे साधुनो स्वांग धारण करी लीवो हतो. ए मीथ्यामुनि सामे श्रावकोए पगलां भरवा विचार कर्यो, पण एटलामां ते मुनि झटपट नासी गयो अने सजामाथी बची गयो. बीजो एक दाखलो एवो छे के पालीताणामां एक साधु सोनानी फ्रेमवाळां चस्मां पेहरतो हतो. साधुओ कोईपण प्रकारनी धातु पोतानी पासे राखी
१ दि. वा. नर्मदाशंकर देवशंकर महेतार्नु भाषण पर्युषण पर्वनां व्याख्यानो. वर्ष २ जु. उत्तरार्ध पान ७७-७८,
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