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नियमो साधु माटेना नियमो करतां कईक वधारे आकरा के कारण के तेम तुं पतन थवानो बधारे संभव छे.' आवा सख्त नियम राखबार्नु कारण एम जणाय छे के खरेखरा त्यागी विचारथी जे दीक्षा लेया इच्छतो होय तेज एवं कष्टमय जीवन गाळवाने माटे आगळ आवे अने एवा नियम पळाय त्यारेज दीक्षा लेवानो खरो उद्देश पार पडे. २७. जेवी रीते दीक्षा लेनारनी लायकी ठरावी छे तेवी रोते दीक्षा आपनार
... गुरुनी पण ठरावी छे. दीक्षा आपत्राने योग्य एवा गुरुर्नु दीक्षा आपनार गुरुनी लायकात.
स्वरुप नीचे प्रमाणे वर्णव्युं छे:-- (१) जेणे विधि प्रमाणे दीक्षा अंगीकार करेली होय एवो; (२) गुरुकुलनी सारी रीते उपासना करनार; (३) अस्खलितपणे शील पाळनार; (४) आगमोनुं सारी रीते अध्ययन करनार; (५) तेथी निर्मल बोधने लीधे तत्वने जागनार; (६) उपशान्त एटले मन, वचन, कायाना विकारोने रोकनार अने वश
करनार; (७) साधु साध्वी श्रावक श्राविका रूप चतुर्विध संघ प्रत्ये वात्सल्यवाळो; (८)प्राणी मात्रनुं कल्याण करवामां मशगुल; (९) जेनुं वचन सर्व मान्य राखे एवो; (१०) गुणी पुरुषोने अनुसरी वर्तनारो; (११) गंभीर; (१२) विषाद (शोक) रहित; (१३) उपशम लब्धीवाळो; (१४) सिद्धांतना अर्थनो उपदेश करनार अने
(१५) गुरु पासेथी गुरुपद मेळवनार, ए प्रमाणे पंदर गुण दीक्षा आपनारमा होवा जोईए. २८. दीक्षा आपतां पहेलां गुरुए दीक्षा लेवानी उमेदवाळामां परिच्छेद २४
... मां कहेली लायकी होवा विष तथा परिच्छेद २५ मां दीक्षाना उमेवारनी परीक्षा
__ कहेली नालायकी नहि होवा विषे खात्री करी लेवी करवी.
जोईए. दीक्षा लेवाने पोतान। समीप आवेला पुरुषने तेणे प्रथम प्रश्न पूछ्यो के हे वत्स ! तुं कोण छे अने शा माटे दीक्षा ग्रहण करे छे ? ए
१ ग्लाझेनाथकृत Jainism - भाषांतर, पान ३४४ थी ३४८. २ धर्मसंग्रह श्लोक ८१, ८४; धर्मबिंदु अध्याय ४ थो, सूत्र ७ मुं...
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