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अब्दाली अथवा डफाली, नक्षबंद, बेनवा, कलंदर, मदारी, मुसा सुहाग, रफै अने रसुल शाही ए मुख्य छे.' सन १९३१ नी वस्ती गणत्री प्रमाणे वडोदरा राज्यमा आवा फकीरोनी संख्या ६,४९५ छे अने ते उपरांत बीजा घणा बहारथी भीख मागवा आवी अहीं तही फरता फरे छे अने गृहस्थो घर आगळ अगर बजारमां दुकानदारोनी दुकान आगळ अल्लाहने नामे पैसा, अनाज विगेरे भीख तरीके ले छे. एवी भीख न आपवामां आवे तो केटलाक तोफान मचावीने पण ले छे.२
ख्रिस्ती धर्म. ११. इस्लामनी पेठे ख्रिस्ती धर्ममां पण संन्यास लेवा जेवं कई नथी. कदाच
कोईने दुनियादारी उपर वितराग आवे तो ते एकान्त ख्रिस्ती धर्ममां संन्यास नथी..
जीवन गाळे छे पण कई संन्यासी थई जतो नथी. धर्मगुरुओ पण घरबारी होय छे. इसवी सन १६०० ना अरसामां खिस्ती धर्ममां सुधारो (रेफर्मेशन) थयो ते पहेलां मठ अने तेमा रहेता साधु साध्वीनी घणी धमाल ते धर्ममा पण हती पण ले पछी तेना प्रोटेस्टंट संप्रदायमांथी ते तद्दन निकळी गई छे अने मात्र रोमन केथोलिक संप्रदाय के जे जूना रीत रिवाजने वळगी रह्यो छे तेमा रहेली छे. पण एवा साधु साध्वी लायक उमरनां थये स्वेच्छाथी दुनियानी उपाधिओथी दूर रहेवा मागता होय तोज साधु साध्वी बने छे. साधु थवा ईच्छनार साधु थती वखते अविवाहित होवोज जोईए एटलुज नहीं पण तेणे २५ वर्षनी वय पहेलां ओछामा ओछा ७-८ वर्ष साधुओनी चालती कॉलेजमां अभ्यास करी परीक्षामा पसार थर्बु जोईए. पसार थया पछी पण बधाने धर्मगुरु ( priest )तरीके लेवामां नथी आवता. रोमन कैथोलिक अने खिस्ती धर्मना एवा बीजा संप्रदायमां पण साधु थवानी भावना दिनप्रतिदिन कमी थती जाय छे. दुनियामां रहीने पोताना उपभोगने माटे जेम बने तेम ओछु खर्चq अने बीजाओने सुखी करवा माटे जेटलुं बने तेटलं बचावी परमार्थ करवानी भावना वधती जाय छे अने ते मुक्तिफोज ( साल्वेशन आर्मी ) अने बीजा संप्रदायना पादरीओ ( मिशनरीओ) मां जोवामां आवे छे. एमां समायलो सेवाधर्म घणो स्तुत्य छे, पण तेने संन्यास दीक्षा साथे कई संबंध नथी.
झोरोस्ट्रीयन धर्म. १२. झोरोस्ट्रीयन धर्मना अनुयायीओमां गृहस्थो बेहदीन कहेवाय छे अने
तेमना धर्मगुरु दस्तुर, अने धर्मक्रिया करनार मोबेद झोरोस्ट्रीयन धर्ममा संन्यास कहेवाय छे. पण दस्तुरो अने मोबेदो पण गृहस्थोनी पेठ नथी.
घरबारी होय छे. वळी मोबेदो पैकी घणा तो हवे पोतानो बापदादाथी चालतो आवेलो धर्मक्रिया करवानो धंधो छोडी दई इतर गृहस्थोनी पेठे
१ कुरान ५, ८९. २ वडोदरा राज्यनो १९११ नो सेन्सस रिपोर्ट, पान १०२. ३ Dictionary of Religion and Ethics Vol. 1. 4.
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