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(&) वीओ इंस वार ॥ ४ ॥ श्राज भोजन करी आवियो, चित्रशाली चित्रकार । एक थयुं अचरिज इहां भांखुं ते अधिकार ॥ ५ ॥
॥ ढाल बीजी ॥
|| अरज अरज सुणोंनें रुडा राजीया होजी ॥ एदेशी ॥
हवे हवे मोर एक चित्रमां होजी, लेवे उंचो रे श्वास । क्षणमां क्षणमां कोट हला वतो होजी, कीधो पिच्छा विलास ॥ एह ॥ १ ॥ पांख पांख खखेरी उतरयो होजी, राता वस्त्र महार | मूक मूकि गयो निज स्थानकें होजी, हुनो चित्र प्रकार ॥ रह. । २ ॥ देखी देखी विस्मय उपनो होजी, कहो एशुं कहेवाय । एहवे पहवे जय जय रव थयो होजी, कुसुम वृष्ठि थाय ॥ ० ॥ ३ ॥ सुरवर सुरवर विद्याधर मिल्या होजी, सांभली लोकनी वाणि । पाम्यां पायां केवल साहुणी होजी, आग्यो हुँ इण ठांण ॥ एक०|४ || बोले बोले नरपति सांभलो होजी, सांधु अवरिज एह । एहवुं एहवुं संभवीयें नहीं होजी, पूछे भगवती नेह ॥ ए६० | ५|| भांखे भांखे तव तेह साधवी होजी, पहमां अचरिज कांय । कर में कर में शुं नवि संभवे होजी नियमा सफलां ते थाय ॥ एह० | ६ ॥ जेहवां जेहवां शुभाशुभ बांधिश्रा होजी, तेहवें उदये रे थाय । अशुभ अशुभ जल अगनि होये होजी, न्याय ते थाय अन्याय | एह● ॥ ७ ॥ चंद चंद तिमिर हेतु होय होजी, घरमां थी मरी जाय । अर्थ अर्थ अनर्थ मित्र वेरीओ होजी, नभथी अगनि वरसाय ॥ ए६ ॥ ८ ॥ शुभथी शुभथी विष अमृत होय होजी, दुर्जन सजन होय अपजश अपजश ते जश नीपजें होजी, न हणे युद्धमां कोय ॥ एह० ॥ ६ ॥ णमे पामे श्रचिती संपदा होजी, सुणी बोले नर नाह कोहना कोहना कर्मनी परिणती होजी, बोले साहुणी एह ॥ एह. ॥१०॥ माहरा माहरा कर्मनी परिणती होजी, बोले ताम भूपाल | किमते किमते शुं निमित्त कहो होजी, साहुणी भांखे रसाल ॥ ६० ॥ ११ ॥
|| ढाल पांचमी ॥
मुख मीठा विरसा पर्छे रे लो, धर्म थकी । सहु अघ गर्छु रे लो। बूझी सभा तब भूपति रे लो; बंधुदेव कहे शुभमती रे लो ॥ २३ ॥ धरम अमें अंगीकरूं रे लो, तुम आणा अमें शिरधरुं रेलो । जिम सुख देवाणुप्रिया रे लो, विलंब न कीजें ए क्रिया रे लो ॥ २४ ॥
ठाई महोत्सव करे रे लो, दान देईनें उद्धरे रे लो । हरिसेन ने राज्यें ठबि रे लो, दीक्षा लीये ज्यू सुरगवी रे लो ॥ २५ ॥ पुरुष चन्द्र सूरिने कर्ने रे लो, । सार्थे प्रधान ने परिजनें रे लो पांची ढाल पद्मे कहीं रे लो, सात मे खंडे प सही रे लो ॥ २६ ॥
उपर के दोनों पाठों में सर्वांगसुन्दरी नामा साध्वीजी को केवलज्ञान उत्पन्न हुआ तब आकाश से पुष्पों की वर्षा हुई, देवता, विद्याधर आदि केवली साध्वी की सेवा में आये, राजा भी बन्दना करने को आया, सर्वो ने उनकी स्तुति की, उपाश्रय को देव विमान जैसा
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