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सद्धर्ममण्डनम् ।
नहीं करनेको गुण कहना ही होगा जब कि माता पिताके वचनको उल्लकन नहीं करना गुण है तो उसी तरह इस पाठमें विनय आदि करना भी गुण है दोष नहीं है। अतः प्रतिपक्ष वचनका सूठ ही नाम लेकर मातापिताकी सेवाभक्ति आज्ञा पालन और विनय आदि करनेमें एकान्त पाप कहना शास्त्रसे सर्वथा विरुद्ध है।
(बोल ४० वां) इति मिथ्यात्वि क्रियाधिकार : ।
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