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धनोप ( राजपूताने) के पहले राष्ट्रकूट ।
कुछ समय पूर्व धनोप ( शाहपुरा राज्य ) से राठोड़ों के दो शिलालेख मिले थे । परन्तु इस समय उनका कुछ भी पता नहीं चलता है ।
इन में का एक वि. सं. १०६३ की पौष शुक्ला पञ्चमी का था । उसमें लिखा था कि, राठोड़ वंश में राजा भल्लील हुआ । उसके पुत्र का नाम दन्तिवर्मा था । इस दन्तिवर्मा के दो पुत्र थे :- बुद्धराज, और गोविन्दराज ।
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निलगुड ( बंबईप्रान्त ) से मिले, अमोघवर्ष प्रथम के, लेख में लिखा है कि, उसके पिता गोविन्दराज तृतीय ने केरल, मालव, गौड, गुर्जर, चित्रकूट (चित्तौड़), और काञ्ची के राजाओं को जीता था। इससे अनुमान होता है कि, ये हस्तिकुंडी ( हयूंडी ), और धनोप के राठोड़ भी दक्षिण के राष्ट्रकूटों की ही शाखा के होंगे, और अमोघवर्ष की इस विजय यात्रा के समय इन प्रदेशों के स्वामी बन बैठे होंगे ।
धनोप के पहले राठोड़ों का वंशवृक्ष
भल्लील
दन्तिवर्मा I
बुद्धराज
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गोविन्दराज
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