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जिसका विरोध अन्य संस्थाएँ साथ मिलकर किया गया और वह विधेयक स्थगित हुआ। इसमें परम पूज्य गणिवर्य श्री कल्याण सागरजी महाराज साहब ने काफी रुचि ली और मार्ग दर्शन दिया।
श्री केशरियाजी तीर्थ के भंडार से भंडारियों को जो 3 प्रतिशत हिस्सा दिया जाता है वह बन्द करवाने के लिए प्रयत्न किए गए। उसके लिए प्रशासनिक स्तर पर कारवाई की गई तथा मुन्सिफ कोर्ट, उदयपुर में इसे रुकवाने का इंजक्शन हासिल किया गया है जिससे भंडारियों को भंडार से मिलने वाला 34 प्रतिशत आय का हिस्सा रोक दिया गया है। अभी यह मामला कोर्ट में लम्बित है उस विषय में उन्होंने हाई कोर्ट में रीट कर रखी है और वह अभी लम्बित है और इधर मुन्सिफ कोर्ट में दावे पेन्डिग है।
श्री केशरियाजी तीर्थ के मूलनायक श्री ऋषभदेव भगवान की प्रतिमा का विलेपन कराने के लिए राजस्थान सरकार के तत्कालीन मंत्री से स्वीकृति प्राप्त की थी जिस पर दिगम्बर
आम्नाय द्वारा विरोध करने का हाई कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया गया जिसे खारिज करा दिया गया लेकिन पुजारियों द्वारा उदयपुर के न्यायालय में जो वाद प्रस्तुत किया गया जो अभी तक लम्बित होने के कारण विलेपन का काम अभी तक सम्पन्न नहीं हुआ है।
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