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प्रेरक सन्देश रहा जिनका, वे थे जयानन्द मुनिवरजी .. प्रतिपल सन्निकट पूज्यवरके, शोभित थे मणिप्रभसागरजी १६१ है बुद्धि प्रखर गुरु निर्देशन से सारा कार्य संभाल रहे अल्पवयी मुक्तिप्रभजी का हर पल उनको ख्याल रहे १६२ कुशल सुयश विमलप्रभजी, भक्ति अध्ययनरत सारे सेवाभावी महिमाप्रभजी, गुरु महिमा गाते हर्षा रे १६३ ललित नवीन चन्दप्रभजी है, पूज्येश्वर की छत्रछाया तेरह ठाणा मुनिराज साथ संघ सकल मन हर्षाया १६४
साध्वी मंडल
संघस्थ साध्वीजी मंडल का, प्रमुख नाम दर्शित है यहां विद्वानश्रीजी मनोहर मंडल, विकसित विकासश्रीजी है जहां १६५ अकलश्रीजी और विदुषीरत्ना दिव्यप्रभाश्रीजी आए सेवाभावी कोमलश्रीजी, शशिप्रभाजी रश्मि फैलाए १६६ मदनश्रीजी आदि सबही साध्वीजी ठाणाथी चालीस तीनठाणा अंचलगच्छकी दो ठाणा कृपाचंद ईश १६७ महासंघ के आधारस्तंभ ! विशिष्ट प्रमुख संघपति
___भंवरलालजी बोहरा संघपति भंवरजी बोहरा का तो पुण्य निराला है पुण्यानुबंधी पुण्य का बंधन, खुला तिजोरी ताला है १६८ चित्तउदार गुरुभक्ति का रंग प्रगाढ है छाया सोने में सुहागा, भंवर जीवन चमकाया १६९ संपत्ति का सद्व्यय करके दो दो उपधान कराया कान्ति गुरुवर निश्रामें तन मन धन कृत्य बनाया १७०
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