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प्राचीन तिब्बत ___ मकान कई बार बनकर तैयार हुआ और मार्पा ने उसे एकदम गिराकर फिर नये सिरे से खड़ा करने का हुक्म दिया। अन्त में जो मकान बनकर तैयार हुआ वह आज भी दक्षिणी तिब्बत के 'ल्होब्राग' में मौजूद है। ___इस तरह की कहानियों में तिब्बतियों का बड़ा पक्का विश्वास होता है और अगर हम यह समझ लें कि ये कहानियों बीते हुए समय की याद हैं और आजकल के ज़माने में ऐसी घटनाओं का होना असम्भव बात है तो यह हमारी भूल होगी। मापो के समय से आज तक तिब्बती लोगों के विचार वैसे ही बने हुए हैं; उनमें थोड़ा भी अदल-बदल नहीं हुआ है। अपनी यात्रा के सिलसिले में मुझे कई घरों में मेहमान बनकर टिकना पड़ा है, जहाँ तिब्बत के प्राचीन धर्म-साहित्य में मिलनेवाली कहानियाँ जीतजागते रूप में इन लोगों के बीच देखने को मिली हैं। आज भी उसी पुराने ढङ्ग पर गुरु लामा को लोग तलाश करते हैं और उसकी प्रसन्नता के लिए हर प्रकार के उपाय किये जाते हैं। ___ मुझे स्वयं अपनी जान-पहचान के कई साधु और नालजोपा मिले जिन्होंने स्वयं अपने चेले बनने की कहानियाँ मुझे ज्यों की त्यों सुनाई। यह अवश्य है कि इन लोगों में नरोपा और मिलारेस्पा का सा उत्साह नहीं मिलता; क्योंकि ये दोनों चेले अपने समय के असाधारण व्यक्तियों में से थे। पर फिर भी आजकल के दिनों में भी गुरु को प्रसन्न करने के लिए चेले जिन कठिनाइयों का सामना हँसी-खुशी से करने को तैयार रहते हैं उसका पता तो चल ही जाता है। ऐसी कहानियाँ संख्या में एक दो नहीं, सैकड़ों हैं। शिष्यों के योग्य गुरु लामाओं को खोज में भगीरथप्रयत्नों के विषय में मैंने जितनी कहानियाँ सुनी हैं उन सबमें नाचेवाली ठेठ तिब्बती मालूम हुई।
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