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प्राचीन तिब्बत
नरोता काश्मीरी ब्राह्मण था जिसका समय ईसा की दूसरी सदी में माना गया है। वह दर्शन-शास्त्र का पक्का विद्वान् था और जादूगरी भी अच्छी जानता था। तिब्बत में नरोता नरोपा के नाम से विख्यात है। ___ नरोपा जिस राजा के दरबार में रहता था, किसी कारण उससे वह एक बार बहुत नाराज हो गया। जादू के जोर स उसने उसे मार डालने का निश्चय किया। एक अलग कमरे में ड्रागपोइ डबथब् (मारण-विधि) करने के लिए उसने अपने को बन्द कर लिया।
जिस समय वह अपने इस उपचार-कर्म में लगा हुआ था, एकाएक उसके सामने जादू के चौकोर चौक के एक कोने के ऊपर एक डाकिनी प्रकट हुई और उसने उससे प्रश्न किया कि तुम इस राजा को मारकर उसे परलोक में अच्छी जगह भेजने की या उसके मृत शरीर में फिर से प्राण लाने की सामर्थ्य रखते हो या नहीं?
नरोपा ने सिर हिलाकर अपनी असमर्थता प्रकट कर दी। इस पर डाकिनी बहुत बिगड़ी। उसने उसे खूब ही फटकारा और बताया कि उसका यह कार्य जादूगरी के नियमों का सरासर अपमान कर रहा है। अपने इस अपराध के बदले में उसे जरूर ही मरकर घोर नरक में जाना पड़ेगा। ___ डर के मारे नरोपा काँपने लगा और उसने इस भयंकर दण्ड से बचने का उपाय पूछा। खादोमा ने उसे तिलोपा को ढूंढकर मिलने की सलाह दी और बतलाया कि अपने दुष्कर्मों के परिणाम से बचने के लिए केवल एक उपाय है-सी चीग लस चीग' अर्थात् 'सुगम-माग' और सिद्धान्त की शिक्षा-दीक्षा देनेवाले तिलोपा की शरण में जाना।
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