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तिब्बत के लामा धर्म में आ जानेवाले मान्त्रिक ) से अधिक होता अवश्य है किन्तु मन्त्र-तन्त्र में जीवित और मृतक आत्माओं को तङ्ग करनेवाले पिशाचों के शमन करने के लिए अधिक शक्ति मानी जाती है। ____ मरे हुए मनुष्य के शरीर से बाहर उसकी प्रात्मा कैसे निकाली जाती है और कैसे उसे परलोक के सच्चे मार्ग का निर्देश किया जाता है-यह भी देखने का अवसर दैव-योग से मेरे हाथ अपने आप लग गया।
उस दिन मैं जङ्गलों से घूम-फिरकर लौट रही थी। अकस्मात् मेरे कानों में किसी जानवर की ऐसी तेज चीख सुनाई पड़ी जैसी मैंने पहले कभी नहीं सुनी थी। एक मिनट बाद वह फिर सुनाई दी। दबे पाँवों मैं उसी ओर आगे बढ़ी और चुपके से एक झाड़ी में छिपकर बैठ गई।
एक पेड़ के नीचे दो लामा ध्यानावस्थित हो पालथी मारे बैठे थे। 'हिक ! उनमें से एक, अजीब भयावने स्वर में, चिल्लाया। 'हिक् ! कुछ क्षण बाद दूसरा भी चिल्लाया।
इसी प्रकार बारी-बारी से रुक-रुककर वे मन्त्र का उच्चारण करते थे। बीच-बीच में जब वे चुप होते तो बिल्कुल शान्त-उनके शरीर का एक अङ्ग भी हिलता-डुलता न था। __ मैंने देखा कि इस 'हिक' के उच्चारण में उन्हें काफी मेहनत पड़ती है। थोड़ी देर बाद उनमें से एक त्रापा ने अपने गले पर हाथ रक्खा । उसके चेहरे की आकृति बिगड़ गई और उसने एक
ओर मुंह फेरकर थूका। उसके थूक में लाल-लाल खून साफ दिखलाई पड़ता था।
उसके साथी ने कुछ कहा। मैं इसे सुन न सकी। बिना उत्तर दिये हुए वह उठा और गुफा की ओर गया। मैंने उसके सर के
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