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तिब्बत के लामा शिजे बहुत निर्दय न्यायाधीश है। पूर्वजन्म में जिसने जो. जो पाप या पुण्य कमाया है, उसी के अनुसार वह उसका फैसला सुना देता है। चतुर लामा और मांत्रिक लोगों का कहना है कि यह फैसला यथासम्भव कुछ हल्का भी बनाया जा सकता है। लेकिन पूर्वजन्म के कृत्यों का पलड़ा किस प्रकार भारी पड़कर सब प्रयत्रों को निष्फल कर देता है, इसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है। यहाँ इस विषय में केवल एक मनोरखक उदाहरण दिया जा रहा है।
एक बहुत बड़ा लामा जब तक जीवित रहा, अपना समय बेकार नष्ट करता रहा। युवावस्था में उसके सुभीते के लिए बढ़िया से बढ़िया पुस्तकालय और अच्छे से अच्छे शिक्षक जुटाये गये। लेकिन जब वह बूढ़ा होकर मरा तब उसे ठीक तौर पर अपना नाम भी लिखना नहीं आता था।
डुग्पा कोलेंग्स नामक एक मशहूर डबटोब* इन्हीं दिनों इसी ओर घूमते-घूमते श्रा पहुँचा; एक सोते के पास पहुँचकर उसने देखा कोई लड़की पानी लेने के लिए आई हुई है। डुग्पा ने न श्राव देखा न ताव, चट से आगे बढ़कर एकाएक उसका हाथ पकड़ लिया। लड़की कुछ बलिष्ठ थी और डबटोब के बचे हुए दाँत भी हिल ही रहे थे। वह हाथ छुड़ाकर भाग खड़ी हुई। माँ के पास पहुँच. कर उसने सब कच्चा चिट्ठा कह सुनाया।
मा को बड़ा अचम्भा हुआ। लड़की के बयान से साफ जाहिर था कि यह आक्रमणकारी सिवा डुग्पा कोलेंग्स के और कोई हो ही नहीं सकता था और डुग्पा ऐसी बदतमीजी कर नहीं सकता था। उसके किसी लड़की को पकड़ने का क्या मतलब था-यह उसकी समझ में बिल्कुल न आया। उसने सोचा, हो
* एक ऋषि या करामाती साधु ।
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