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अध्यात्म की शिक्षा
१३७ साधारण श्रेणी के लोगों और औसत दर्जे की बुद्धि के भिक्षुओं के लिए एक सुभीतेवाले धर्म का प्रचार करना ठीक समझा।
इसी लामा को शाक्य-मुनि गौतम के ग्य-गर् ( भारतवर्ष ) में जन्म लेने पर भारी सन्देह था। उसका कहना था कि शायद शाक्य-मुनि के पूर्वज किसी एशियाई कौम के लोग थे। उसे इस बात का पूरा विश्वास था कि आगामी बुद्ध भगवान् मैत्रेय उत्तरी एशिया में ही फिर जन्म लेंगे। ___ कहाँ से उसने ये विचार इकट्ठ किये थे, इसका मुझे कुछ पता नहीं लग सका। एशियाई संन्यासियों के साथ वाद-विवाद की रत्ती भर भो गुजाइश नहीं होती। आपके सौ सवालों का जवाब वे बस एक "मैंने ऐसा-ऐसा अपने ध्यान में देखा है" में दे देते हैं। और जहाँ उन्होंने एक बार ऐसा कह दिया, वहाँ फिर उनसे किसी बात का पता चलाने की आशा करना दुराशा मात्र है। __इसी तरह के विचारों में विश्वास करनेवाले नेपाल के कुछ नेवार भी मेरे देखने में आये। उनका कहना था कि गौतम बुद्ध उनके अपने देश में पैदा हुए थे और वे लोग और चीनी एक ही जाति के थे।
तिब्बतो जादूगरों के पास रहकर शिक्षा ग्रहण करनेवाले विद्यार्थी दो भागों में बाँटे जा सकते हैं___एक तो वे लोग हैं जो प्रकृति पर किसी प्रकार की विजय नहीं चाहते, बल्कि कुछ देवताओं का इष्ट प्राप्त करने में यत्नशील रहते हैं। या कुछ जिन्दों को अपने वश में करके उनसे तरह-तरह की गुलामी लेने की कोशिश करते रहते हैं। इस तरह के जीवधारी सचमुच ही किसी लोक में वास करते हैं इस बात में ये थोड़ा भी सन्देह नहीं रखते। वे यह भी मानते हैं कि उनकी अपनी
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