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इच्छा-शक्ति और उसका प्रयोग
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घुड़सवार बड़ी तेजी से सरपट आते दिखाई दिये । पास आने पर वे अपने- अपने घोड़ों पर से उतर पड़े। उन्होंने 'खा-तारस' ( अभिवादन ) किया और उपहार में मक्खन दिया। यह सब शिष्टाचार हो चुकने पर उनमें से एक वय में बड़े भले आदमी ने मुझसे संकेत से यह प्रार्थना की कि मैं अपना इरादा बदल दूँ और बोन्पो तान्त्रिक के डब्थब में कोई बाधा न दूँ । उन्होंने बतलाया कि खास-खास शिष्यों के सिवा और किसी को वहाँ जाने की अनुमति नहीं है, जहाँ जादू का क्लिक- होर बनाकर बोन्पा अपना अनुष्ठान पूरा कर रहे हैं।
मैंने अपना विचार बदल दिया। सचमुच, मालूम होता है, स्पा ने शायद अपने गुरु को मेरे बारे में ख़बर भेज दी थी।
ज्ञात होता है, दृष्टि सम्बन्धी मानसिक संक्रमण ( टेलीपेथी ) से भी तिब्बतवासी अपरिचित नहीं हैं। किस्से-कहानियों की बात जाने दीजिए, तिब्बत में आज भी कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जिनका दावा है कि उन्होंने स्वयं ऐसे काल्पनिक छायाचित्र देखे हैं जो उन तक किसी न किसी टेलीपेथिक ढंग से पहुँचाये गये थे । ये चित्र उन सूरतों से बिल्कुल भिन्न होते हैं, जिन्हें हम अपने स्वप्नों में देखते हैं। कभी-कभी छायाचित्र ध्यान की अवस्था में प्रकट होता है और कभी-कभी तब जब कि देखनेवाला किसी न किसी मामूली काम में लगा रहता है।
एक लामा त्सिपा ने मुझसे बतलाया कि एक बार खाना खाते समय उसने एक ग्युदा लामा को देखा । यह उसका बड़ा मित्र था जिसे उसने बहुत समय से नहीं देखा था । ग्युद लामा
* ज्योतिषी ।
+ ग्यि उद् कालेज का सहपाठी जहाँ बाक़ायदा तन्त्र शास्त्र ( जादूगरी ) की शिक्षा दी जाती है।
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