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प्राचीन तिब्बत कभी-कभी अन्त में एक प्रकार की परीक्षा भी ली जाती है। और इस परीक्षा के साथ-साथ त्यूमो के इन विद्यार्थियों का शिक्षाकाल समाप्त होता है।
जाड़ों में किसी रात को, जब कि कड़ाके की सर्दी पड़ती होती है, सर्द हवा सन्-सन् करती हुई बहती और आकाश में चाँदनो छिटकी होती है, इन विद्यार्थियों को एक झरने या झील के पास ले जाया जाता है। अगर सभी सोते जम गये होते हैं तो बर्फ खोदकर एक छेद कर लिया जाता है। चेले नंगे-बदन पालथी मारकर जमीन पर बैठ जाते हैं और उसी बर्फ के पानी में चादरें भिगो भिगोकर उनके शरीर पर रक्खी जाती हैं। इस प्रकार सबेरे तक ये चादरें भीगती और सूखती रहती हैं। अन्त में जिसकी सुखाई हुई चादरों को गिन्ती सबसे अधिक होती है, वही बाजी मार ले जाता है। ___कभी-कभी ये लोग जमी हुई बर्फ पर स्वयं बैठ जाते हैं और कुछ देर बाद नीचे को जितनी बर्फ पिघली रहती है या आस-पास जितनी दूरी तक बर्फ पर कोई असर पड़ा रहता है उससे बैठनेवाले की त्यूमो की शक्ति का अन्दाज़ा आसानी से लग जाता है।
बेतार की तार-बर्की
मानसिक संक्रमण ( दूर से एक दूसरे के विचारों को प्रभावित करना ) रहस्यपूर्ण तिब्बत देश के अज्ञात ज्ञान-भाण्डार का एक मुख्य अंग है और 'बर्फ के इस भूखण्ड' में उसका वही स्थान है जो कि पश्चिम में बेतार के तार का है। पर जब कि बेतार के तार की आवश्यक मशीनें सभी पाश्चात्य देशों के निवासियों को आसानी से मिल सकती हैं, यहाँ तिब्बत में ईथर (हवा) के जरिये
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