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प्राचीन तिब्बत न्याल तोद् क्यिद् फ्ग या सामदि के भिक्षुओं में से ही कोई एक व्यक्ति इस काम के लिए चुन लिया जाता है। जिनकी 'महकेता बनने की इच्छा होती है उन्हें पहले ऊपर बतलाई गई किसी एक गुम्बा में इसकी विधिवत् शिक्षा प्राप्त करनी पड़ती है। तीन साल तीन महीने तक बराबर एक घोर अन्धकार-पूर्ण एकान्त स्थान में प्राणायाम से सम्बन्ध रखनेवाले कुछ अभ्यासां को सीखना होता है। तब इन लोगों की परीक्षा ली जाती है । इस परीक्षा में जिसे सबसे अधिक नम्बर मिलते हैं वही 'महेकेता बन सकता है। परीक्षा कई प्रकार से ली जाती है। ___ जमीन में एक गड्ढा खोदा जाता है जिसकी गहराई परीक्षार्थी की ऊँचाई के बराबर होती है। इस गड्ढे के ऊपर एक प्रकार का गुम्बद बनाया जाता है जिसकी ऊँचाई भी धरातल से आदमी की ऊँचाई के बराबर होती है। गड्ढे के भीतर बैठे हुए आदमी के पास से ऊपर गुम्बद के सिरे तक की ऊँचाई आदमी की ऊँचाई की दुगनी हुई यानी अगर आदमी ५ फीट ५ इंच लम्बा हुआ तो गड्ढे के नीचे से लेकर ऊपर गम्बद के सिरे तक की नाप १० फीट १० इञ्च होती है। इस गुम्बद के सिरे पर एक छोटी सो जगह खुली छोड़ दी जाती है। नीचे गड्ढे में आदमी पालथी मारकर बिठा दिया जाता है। अब वह इस बात की कोशिश करता है कि पालथी मारे हुए और बैठे-बैठे कूदकर वह उसी खुली जगह से उचककर बाहर निकल जाय। ___ मैंने सुना है कि इस प्रकार की कलाबाजी सचमुच इस देश में सफलतापूर्वक की जाती है, लेकिन मैंने अपनी आँखों से एक बार भी नहीं देखी।
पर यह परीक्षा बिलकुल शुरू-शुरू की हुई। अन्तिम परीक्षा इससे कठिन रक्खी गई है।
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