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प्राचीन तिब्बत हों तो मेरे आने की सूचना उन्हें देनी चाहिए। मुझे उनसे कुछ काम है।" ___ लामा ग्ग्रेमछेन ने उसे अपने रहने के कमरे के पास तक नहीं फटकने दिया। येशेज को इस पर थोड़ा भी आश्चर्य नहीं हुआ। वह जानता था कि पहले परीक्षा देनी पड़ती है। कठिन से कठिन परीक्षा के लिए वह प्रस्तुत भी था। उसने गोमछेन के निवासस्थान से अलग ही एक शिष्य की कुटिया में उसका आतिथ्य ग्रहण किया ।
एक सप्ताह बीत जाने पर डरते-डरते येशेज़ ने गोमछेन को फिर अपने बारे में याद दिलाने के लिए खबर करवाई। उत्तर मिला तो तुरन्त, पर बड़ा टेढ़ा। येशेज को आज्ञा मिली तुरन्त रितोद छोड़ दे और अपने आश्रम को वापस लौट जाय ।
येशेज के लिए आज्ञा-पालन के अतिरिक्त दूसरा चारा न था। उसने वहीं से पहाड़ी के ऊपर स्थित गुरु के आश्रम को, जमीन तक नत होकर, प्रणाम किया और वापस लौटा।
उसो दिन साँझ को एक बड़ा बर्फीला तूफान आया। येशेज रास्ता भूल गया। उसी रात को उसके पास का खाने का सब सामान भी चुक गया। भूखा, प्यासा और हताश रोगी सा वह किसी तरह अपनी गुम्बा तक वापस लौटा।
पर उसने हिम्मत न हारी। उसने अपने मन को समझाया कि पहले-पहल किसी बड़े काम के होने में भूत-प्रेत इसी प्रकार बाधाएँ पहुँचाया करते हैं। ___ उसने फिर दूसरी बार यात्रा की। फल पहली बार से अच्छा न रहा। लामा गोमछेन ने उसे अपने पैरों में प्रणाम करने की अनुमति नहीं दी और फिर वापस लौटा दिया।
बाधाएं ना कर दूसरी बार ने उसे अपने पदया
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